NCERT Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना)

NCERT Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना)

NCERT Solutions Class 7  सामाजिक एवं राजनीतिक 7 वीं कक्षा से Chapter-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी सामाजिक एवं राजनीतिक के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक

पाठ-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-4 (लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना)

पाठ के बीच में पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1 – आपके बड़े होने के अनुभव, सामोआ के बच्चों और किशोरों के अनुभव से किस प्रकार भिन्न है ? इन अनुभवों में वर्णित क्या कोई ऐसी बात है जिसे आप अपने बड़े होने के अनुभव में शामिल करना चाहेंगे ?

उत्तर:- सामोआ समाज पर किए गए अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार 1920 के दशक में बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। छोटे बच्चे जैसे ही चलना शुरू कर देते थे, उनकी माताएँ या बड़े लोग उनकी देखभाल करना बंद कर देते थे। यह जिम्मेदारी बड़े बच्चों पर आ जाती थी, जो प्रायः स्वयं भी पाँच वर्ष के आसपास की उम्र के होते थे। लड़के और लड़कियां दोनों अपने छोटे भाई – बहनों की देखभाल करते थे, लेकिन जब कोई लड़का लगभग नौ वर्ष का हो जाता था। वह बड़े लड़कों के समूह में सम्मिलित हो जाता था और बाहर के काम सीखता था, जैसे – मछली पकड़ना और नारियल के पेड़ लगाना। लड़कियाँ जब तक तेरह – चौदह साल की नहीं हो जाती थी वे छोटे बच्चों की देखभाल और बड़े लोगों के छोटे – मोटे कार्य करती रहती थी। लेकिन हमारे माता पिता तो चाहे हम कितनी भी उमर के हो जाए हमारी देखभाल करते ही है। हालांकि जिम्मेदारियां हम सबके ऊपर आ जाती है, लेकिन अपने माता पिता के लिए हम बच्चे ही रहते है। जब हम बड़े हो जाते है तभी बाहर नौकरी करते है, घर की जिम्मेवारियां उठाते है लेकिन सामोआ के बच्चों को छोटी उम्र में ही काम करना पड़ता था।

प्रश्न 2 – अपने पड़ोस की किसी गली या पार्क का चित्र बनाइए। उसमें छोटे लड़के व लड़कियों द्वारा की जा सकने वाली विभिन प्रकार की गतिविधियों को दर्शाइए। यह कार्य आप अकेले या समूह में भी कर सकते है।

उत्तर:-

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प्रश्न 3 – आपके द्वारा बनाए गए चित्र में क्या उतनी ही लड़कियाँ हैं जितने लड़के ? संभव है कि आपने लड़कियों की संख्या कम बनाई होगी। क्या आप ये कारण बता सकते है जिनकी वजह से आपके पड़ोस में, सड़क पर, पार्कों और बाजारों में देर शाम या रात के समय स्त्रियाँ तथा लड़कियाँ कम दिखाई देती हैं ?

उत्तर:- ऐसा इसलिए क्योंकि अभी भी ऐसा समय है जहाँ कई परिवार लड़कियों को ज्यादा देर बाहर भेजने से डरते है। कई लड़कियां इसलिए बाहर नहीं आती जो पढ़ रही होती है, कुछ अपना घर का काम करने में व्यस्त होती है। कई लड़कियों को खुद ही बाहर जाना अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4 – क्या लड़के और लड़कियाँ अलग – अलग कामों में लगे है ? क्या आप विचार करके इसका कारण बता सकते हैं ? यदि आप लड़के और लड़कियों का स्थान परस्पर बदले देगें, अर्थात लड़कियों के स्थान पर लड़कों और लड़कों के स्थान पर लड़कियों को रखेंगे, तो क्या होगा ?

उत्तर:- हमारे देश की संस्कृति में दुनिया ने लड़कों और लड़कियों के काम बाट दिए गए है। जैसे :- लड़कियां घर का काम संभालती है, पुरुष बाहर जाकर नौकरी करते है। बस, रिक्शा जैसे साधन चलाना यह काम पुरुष करते है। क्योंकि अभी भी पूर्ण रूप से महिलाएं हर काम में स्वतंत्र नहीं है। जबकि कई जगह ऐसी भी है कि वायुयान चलाना, रिक्शा, बस इन कामों में महिलाएं भी दिखाई दी है। कई जगहों पर ऐसे काम करने के स्थान बदलने से विपत्ति आती है तो कहीं महिलाओं की सराहना की जाती है।

प्रश्न 5 – क्या हरमीत और मोनाली का यह कहना सही था कि हरमीत की माँ काम नहीं करती।

उत्तर:- हरमीत और मोनाली का यह कहना सही नहीं था। हरमीत की माँ घर का सब काम करती थी। केवल पैसे कमाने के लिए बाहर का काम नहीं कर पाती थी। अधिकांश समाजों में, जिनमें हमारा समाज भी सम्मिलित है। पुरुषों और स्त्रियों की भूमिकाओं और उनके काम के महत्व को समान नहीं समझा जाता है। हरमीत के परिवार को नहीं लगता था कि जसप्रीत घर का जो काम करती थी, वह वास्तव में काम था। उनके परिवार में ऐसी भावना का होना कोई निराली बात नहीं थी। सारी दुनिया में घर के काम की मुख्य जिम्मेदारी स्त्रियों की ही होती है जैसे – देखभाल संबंधी कार्य, परिवार का ध्यान रखना, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों का। फिर भी जैसा हमने देखा घर के अंदर किए जाने वाले कार्यों को महत्त्वपूर्ण नहीं समझा जाता। मान लिया जाता है कि वे तो स्त्रियों के स्वाभाविक कार्य है इसीलिए उनके लिए पैसा देने की कोई जरूरत नहीं है। समाज इन कार्यों को अधिक महत्त्व नहीं देता।

प्रश्न 6 – आप क्या सोचते हैं अगर आपकी या वे लोग, जो घर के काम में लगे है, एक दिन के लिए हड़ताल पर चले जाएँ, तो क्या होगा ?

उत्तर:-अगर हमारी माँ भी एक दिन के लिए हड़ताल पर चली जाए तब वैसे ही होगा जैसा हरमीत के परिवार में हुआ था। घर का काम फिर पापा या छोटे बड़े भाई बहनों को ही करना होगा। और उन्हें तो माँ की आदत होती है, वे कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाएगें और परेशान होने के साथ – साथ घर का सारा काम भी बिगाड़ देंगे।

प्रश्न 7 – आप ऐसा क्यों सोचते है कि सामान्यतया पुरुष या लड़के घर का काम नहीं करते ? आपके विचार में क्या उन्हें घर का काम करना चाहिए ?

उत्तर:- पुरुष और लड़के घर का काम इसलिए नहीं करते क्योंकि वे शुरू से ही देखते आते है कि घर का काम महिलाएं और लड़कियां संभाल रही है। और खुद महिलाएं भी उन्हें कुछ काम करने के लिए नहीं कहती। लेकिन जब घर में बहुत ज्यादा मेहमान आ जाए और महिलाओं को पुरुषों की किसी प्रकार की सहायता चाहिए हो, घर में महिला बीमार हो या साधारण रूप से भी कोई सहायता के लिए कहे तब पुरुषों को घर का काम करना चाहिए।

अभ्यास :- प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 – साथ में दिए गए कुछ कथनों पर विचार कीजिए और बताइए कि ये सत्य हैं या असत्य ? अपने उत्तर के समर्थन में एक उदाहरण भी दीजिए।

(क) सभी समुदाय और समाजों में लड़कों और लड़कियों को भूमिकाओं के बारे में एक जैसे विचार नहीं पाए जाते।

उत्तर:- हां हमने प्राय: यह देखा है कि कई समुदाय और समाजों की लड़के और लड़कियों की भूमिकाओं के बारे में अलग अलग विचार होते है। कुछ अपनी लड़कियों को कम मानने की और लड़कों को हर दर्जा प्राप्त हो उन परम्पराओं को साथ लेकर चलते है। कुछ लड़के और लडकियों को सामान दर्जा देने वाले भी होते है।

(ख) हमारा समाज बढ़ते हुए लड़कों और लड़कियों में कोई भेद नहीं करता।

उत्तर:- ऐसा नहीं है क्योंकि आज भी कई ऐसे लोग है जो लड़कियों को बाहर निकल कर काम करने की स्वीकृति नहीं देते है और लड़कों को बाहर पढ़ने तक के लिए भेजकर भेदभाव करते है।

(ग) वे महिलाएं जो घर पर रहती है कोई काम नहीं करती।

उत्तर:- समाज प्राय:  यह देखता है कि महिलाएं सारा दिन घर रहती है और घर पर कोई काम नहीं करती है। जबकि उनके द्वारा किया गया काम सारा दिन चलता रहता है और पुरुष फिर भी अपना काम 7-8 घंटे में करके घर वापिस आ जाते है।

(घ) महिलाओं के काम पुरुषो के काम की तुलना में कम मूल्यवान समझे जाते हैं।

उत्तर:-महिलाओं द्वारा किया गया काम किसी को दिखता नहीं है क्योंकि इसके उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते जबकि पुरुषों द्वारा किया गया काम पैसों के रूप में दिखाई पड़ता है और अधिक मूल्यवान समझा जाता है।

प्रश्न 2 – घर का काम अदृश्य होता है और इसका कोई मूल्य नहीं चुकाया जाता। घर के काम शारीरिक रूप से थकाने वाले होते हैं। घर के कामों में बहुत समय खप जाता है।

अपने शब्दों में लिखिए कि ‘ अदृश्य होने ‘ ‘ शारीरिक रूप से थकाने ‘ और ‘ समय खप जाने ‘ जैसे वाक्यांशों से आप क्या समझते है ? अपने घर को महिलाओं के काम के आधार पर हर बात को एक उदाहरण से समझाए।

उत्तर:-अदृश्य होना – महिलाओं द्वारा किया जाने वाला काम अदृश्य होता है। उदाहरण के लिए भोजन बनाने तथा बच्चों की देखभाल से कई छोटे – छोटे काम जुड़े हुए होते हैं, जिनकी अनदेखी की जाती है। क्योंकि ऐसा लगता है कि ये काम तो कोई भी कर सकता है।

शारीरिक रूप से थकाने वाला – घर में किए जाने वाले छोटे – छोटे कार्य बहुत होते हैं, जिनके लिए बार – बार इधर से उधर दौड़ना पड़ता है। ये कार्य पूरे दिन चलते रहते हैं, इसलिए ये थका देने वाले होते हैं।

समय खपाने वाला – घरेलू काम देखने में हल्के – फुल्के लगते हैं लेकिन इन्हें करने में महिलाओं का बहुत समय लग जाता है। फिर भी, इन कामों के बारे में कह दिया जाता है कि ये काम बहुत कम समय में हो जाते हैं।

प्रश्न 3 – ऐसे विशेष खिलौनों की सूची बनाए, जिनसे लड़के खेलते हैं और ऐसे विशेष खिलौनों को भी सूची बनाए, जिनसे केवल लड़कियाँ खेलती है, यदि दोनों सूचियों में कुल अंतर है, तो सोचिए और बताइए कि ऐसा क्यों हैं ? सोचिए कि क्या इसका कुछ संबंध इस बात से हैं कि आगे चलकर व्यस्क के रूप में बच्चों को क्या भूमिका निभानी होगी ?

उत्तर:-

लड़कों के खिलौने – वीडियो गेम, हवाई जहाज, कार, विमान, जीप ।

खेल – फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी, वॉलीवाल, क्रिकेट आदि ।

लड़कियों के खिलौने – गुड्डे – गुड़ियाँ, संगीत – यंत्र, श्रृंगार – बॉक्स, घर के सामान के खिलौने।            

खेल – खो – खो,  लुकम छुपाई, फिट्टू खेलना,  जिम्नास्टिक, टेनिस, तैराकी, टेबल – टेनिस आदि ।

अंतर के कारण – लड़कों को प्रायः ऐसे खिलौने दिए जाते हैं। जिनसे कठिनता तथा कठोरता का अहसास होता है। लड़के बहादूर् बने, बाहर जाकर हर किसी का सामना करे। इसके विपरीत, लड़कियों के खिलौनों से मधुरता और कोमलता का बोध होता है। लड़कियाँ घर के अंदर खेल खेलती हैं। वयस्क के रूप में उनकी भूमिका से संबंध- लड़के और लड़कियाँ जिन खिलौनों के साथ खेलते हैं या वे जो खेल खेलते हैं, निश्चित रूप से उनका संबंध वयस्क रूप में उनकी भूमिका से होता है। खिलौने बच्चों को यह बताने का माध्यम बन जाते हैं कि जब वे बड़े होंगे, तो उनको अपने भविष्य में यही काम करने है।

प्रश्न 4 – अगर आपके घर में या आस – पास, घर के कामों में मदद करने वाली कोई महिला है तो उनसे बात कीजिए और उनके बारे में थोड़ा और जानने की कोशिश कीजिए, कि उनके घर में और कौन – कौन है ? वे क्या करते है ? उनका घर कहाँ है ? वे रोज कितने घंटे तक काम करती है। वे कितना कमा लेती है ? इन सारे विवरणों को शामिल कर, एक छोटी – सी कहानी लिखिए।

उत्तर:- हमारे आस पास घर के कामों में मदद करने वाली सपना नाम की एक महिला है। उसके परिवार में उसके पति, दो बेटियाँ तथा दो बेटे है। उसका परिवार एक छोटे से कमरे में किराए पर रहता है। वह दूसरे लोगों के घर प्रतिदिन 8 से 9 घंटे तक काम करती हैं और प्रतिमास 4000 रूपए लगभग कमा लेती है। सपना का पति फैक्ट्री में मजदूर है। सपना दूसरों के घर पर काम करके अपने पति की सहायता करती है। उसका एक लड़का तथा एक लड़की सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। उसका बड़ा लड़का कूलर का काम सीख रहा है। उसकी बड़ी लड़की घर को संभालती हैं।

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