NCERT Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-8 (हमारे आस-पास के बाजार)

NCERT Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-8 (हमारे आस-पास के बाजार)

NCERT Solutions Class 7  सामाजिक एवं राजनीतिक 7 वीं कक्षा से Chapter-8 (हमारे आस-पास के बाजार) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी सामाजिक एवं राजनीतिक के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter-8 (हमारे आस-पास के बाजार)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 7 सामाजिक एवं राजनीतिक

पाठ-8 (हमारे आस-पास के बाजार)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-8 (हमारे आस-पास के बाजार)

पाठ के बीच में पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1 – लोग साप्ताहिक बाजारों में क्यों जाते हैं ? तीन कारण बताइए ।

उत्तर:- साप्ताहिक बाजारों में बहुत – सी चीज सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। साप्ताहिक बाजार में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं। साप्ताहिक बाजारों का एक फ़ायदा यह भी होता है कि जरूरत का सभी सामान एक ही जगह पर मिल जाता है। अलग–अलग तरह के सामान के लिए अलग–अलग क्षेत्रों में जाने की जरूरत भी नहीं होती है।

तीन कारण :-

  1. कुछ लोगों को घर का कुछ सामान खरीदना होता है। इसलिए वह लोग साप्ताहिक बाजार जाते है।
  2. घर की सब्जी या फल के लिए भी लोग साप्ताहिक बाजार जाते है।
  3. काफी लोग बाजार में कुछ खाने पीने भी जाते है।

प्रश्न 2 – इन साप्ताहिक बाजारों में दुकानदार कौन होते है ? बड़े व्यापारी इन बाजारों में क्यों नहीं दिखते ?

उत्तर:-  साप्ताहिक बाजार का यह नाम ही इसीलिए पड़ा है क्योंकि यह सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन लगता है। इसलिए साप्ताहिक बाजार में रोज खुलनेवाली दुकानें नहीं होती हैं। व्यापारी दिन में दुकान लगाते हैं और शाम होने पर उन्हें समेट लेते है। अगले दिन वे अपनी दुकानें किसी और जगह पर लगाते हैं। देश – भर में ऐसे हजारों बाजार लगते हैं और लोग इनमें अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें खरीदने आते हैं। बड़े व्यापारी इन बाज़ारों में इसलिए नहीं आते क्योंकि उनके पास तो पहले से ही बहुत सारे ऑडर होते है, उनके पास फुरसत ही नहीं होती।

प्रश्न 3 – साप्ताहिक बाजारों में सामान सस्ते दामों में क्यों मिल जाता है ?

उत्तर:-  साप्ताहिक बाजारों में बहुत – सी चीज सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। ऐसा इसलिए कि जो पक्की दुकानें होती हैं उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्च जोड़ने होते हैं। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है। इन दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं में जोड़नी होती है। साप्ताहिक बाजारों में बेची जाने वाली चीजों को दुकानदार अपने घरों में ही जमा करके रखते हैं। इन दुकानदारों के घर के लोग अकसर इनको सहायता करते हैं। जिससे इन्हें अलग से कर्मचारी नहीं रखने पड़ते।

प्रश्न 4 – एक उदाहरण देकर समझाइए कि लोग बाजारों में कैसे मोल – तोल करते है ? क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं। जहां मोल – तोल करना अन्यायपूर्ण होगा ?

उत्तर:-  बाजार में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं। जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता भी होती है। यदि एक दुकानदार किसी वस्तु के लिए अधिक कीमत माँगता है तो लोगों के पास यह विकल्प होता है कि वे अगली दुकानों पर वही सामान देख लें, जहाँ संभव है कि वही वस्तु कम कीमत में मिल जाए। ऐसी स्थितियों में खरीदारों के पास यह अवसर भी होता है कि वे मोल – तोल करके भाव कम करवा सकें। जब दुकानदार किसी ग्राहक की पसंद की हुई चीज़ की कीमत बताता है और अगर ग्राहक को वो भाव सही ना लगे तो मोल तोल करके भाव कम करवाते है। अगर दुकानदार भी मान जाए तो उस सामान को बेच देता है। लेकिन जहा सरकार ने किसी चीज़ की कीमत रखी हुई है और दुकानदार चाहकर भी कीमत कम नहीं कर सकते, वहां मोल तोल करना अन्यायपूर्ण होगा।

प्रश्न 5 – सुजाता नोटबुक लेकर दुकान क्यों गई ? क्या यह तरीका उपयोगी है ? क्या इसमें कोई समस्या भी आ सकती है ?

उत्तर:- सुजाता अपने मोहल्ले की दुकान से किराने का सामान खरीदती थी। इस दुकान पर अकसर खरीददारी के लिए जाती थी। सुजाता को जो भी सामान लेना होता था इसकी सूचि वह नोटबुक पर लिख कर दे देती थी। यह तरीका इसलिए उपयोगी था क्योंकि इससे सारा सामान लिखा जाता था और कोई भूलता नहीं था। किसी के साथ पैसों का कोई धोखा नहीं होता था। इसमें समस्या तब आती अगर कोई पन्ना फट जाए तो इससे दुकानदार को नुकसान होता अगर दुकानदार ने अलग से कोई हिसाब ना लिखा हो और सुजाता को भी क्या पता दुकानदार ने लिखा हो और पन्ना फटने की वजह से सुजाता को नहीं पता हो और दुकानदार ज्यादा पैसे लेले।

प्रश्न 6 – आपके मोहल्ले में अलग – अलग प्रकार की कौन सी दुकानें है ? आप उनसे क्या क्या खरीदते है।

उत्तर:-  हमारे मोहल्ले में किराना, किताब की दुकान, कपड़ो की दुकान, मोबाइल रिचार्ज करने की दुकान इत्यादि है। यहाँ से हम पहनने के कपड़े, खाने पीने का सामान, पढ़ने के लिए किताब खरीदते है।

प्रश्न 7 – सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाजार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महंगा क्यों होता है ?

उत्तर:-  साप्ताहिक बाज़ार में तो चीज़े सस्ते दामों में ही मिल जाती है क्योंकि यह रोज़ खुलने वाली दुकानों से अलग होते है। लेकिन पक्की दुकाने इसलिए महंगी होती है क्योंकि उनके इस दुकान से जुड़े कई खर्चे होते है। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क सब देना पड़ता है। साथ में दुकान में लगे कर्मचारियों की तनख्वाह भी देनी होती है।

प्रश्न 8 – आप क्या सोचते हैं, सुरक्षा कर्मचारी ने सुजाता और कविता को अंदर जाने से रोकना क्यों चाहा होगा ? यदि कहीं किसी बाजार में कोई आपको ऐसी ही दुकान में अंदर जाने से रोके, तो आप क्या कहेंगे ?

उत्तर:-   एंजल मॉल एक पाँच – मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है। कविता और सुजाता इसमें लिफ्ट से ऊपर जाने और नीचे आने का आनंद ले रही थी। यह काँच की बनी लगती थी और ये इसमें से बाहर का नजारा देखती हुई ऊपर – नीचे जा रही थी। उन्हें यहाँ आइसक्रीम, बर्गर , पिज्जा आदि खाने की चीज़े, घरेलू उपयोग का सामान, चमड़े के जूतों, किताबें आदि तरह – तरह की दुकानों को देखना आशचर्यचकित कर रहा था। सुरक्षा कर्मचारी ने उन्हें कुछ इस तरह देखा कि वह इन्हें रोक देना चाहता हो, पर उसने कुछ कहा नहीं। सुरक्षा कर्मचारी को उनके इरादें अच्छे नहीं लग रहे थे क्योंकि वे कुछ भी खरीद नहीं रही थी। बस इधर उधर घूम रही थी। यदि हमें ऐसे कोई रोकता तब हमें उसे यहाँ आने के उद्देश्य के बारे में बताते।

प्रश्न 9 – ऐसा क्यों होता है कि लोग मॉल में दुकानदारों से मोल – तोल नहीं करते हैं। जबकि साप्ताहिक बाजारों में ऐसा खूब किया जाता है ?

उत्तर:-  ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मॉल में हर चीज़ की मात्रा पहले से निश्चित होती है। सभी चीजें ब्रांडेड होती है। कई लोगों को खुद ही शर्म सी महसूस होती है जब वे मॉल में मोल – तोल करते है। साप्ताहिक बाज़ार का वातावरण देख कर ही लोग मोल– तोल करने लगते है। क्योंकि वहां सभी दुकानदार साथ में ही बैठे होते है और अगर कोई मोल – तोल से नहीं मानता तो वहां इतने और दुकानदार उस व्यक्ति को अपने पास बुला लेते है।

प्रश्न 10 – आपको क्या लगता है, आपके मोहल्ले की दुकान में सामान कैसे आता है ? पता लगाइए और कुछ उदाहरणों से समझाइए।

उत्तर:- हमारे मोहल्ले में सामान दुकानदार थोक में लाते है। जैसे हम किसी दुकान पर जाकर एक नमक का पैकेट लेंगे लेकिन मोहल्ले की दुकान वाले व्यापारियों से नमक के कई सारे पैकेट व और भी अत्यधिक चीज़ें इकठ्ठे लाते है।

प्रश्न 11 – थोक व्यापारी की भूमिका जरूरी क्यों होती है ?

उत्तर:-  थोक व्यापारी की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे लोग जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं उन्हें ही थोक व्यापारी कहा जाता है। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है। जैसे- सब्जियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्जी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्जियां खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लंबी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अंतत : वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है। इससे दुकानदार को सभी चीजे समय से मिलती है और इधर उधर ज्यादा घूमना भी नहीं होता। क्योंकि कुछ थोक व्यापारी तो श्रव्य दुकान पर आकर सामान दे जाते है।

अभ्यास :- प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 – एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है ?

उत्तर:-  फेरी वाले के पास अपनी दुकान नहीं होती, वह इधर उधर साइकिल, रेहड़ी पर सामान बेचते है। जबकि दुकानदार की स्थायी दुकान होती है। फेरी वालों के पास बेचने के लिए थोड़ी बहुत वस्तुएं होती है लेकिन दुकानदार कई सारी चीज़ बेचता है।

प्रश्न 2 – निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- 

बाजारबेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकारवस्तुओं का मूल्यविक्रेताग्राहक
साप्ताहिक बाजार कपड़े, घरेलू सामान, बर्तन बाजार के अनुसार साप्ताहिक बाजार के कर्मचारी आम लोग 
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स कपड़े, घरेलू सामान, बर्तन ब्रांड के अनुसार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के कर्मचारी धनी लोग 

प्रश्न 3 – स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंख्ला कैसे बनती है ? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है।

उत्तर:-  बाजारों की श्रृंख्ला खुदरा तथा थोक व्यापारियों से मिलकर बनती है। सामानों का उत्पादन कारखानों, खेतों और घरों में होता है। लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते हैं। चीजों का उत्पादन करने वाले भी हमें कम मात्रा में, जैसे- एक किलो या एक प्लास्टिक कप आदि बेचने में रुचि नहीं रखेंगे। वे लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं उन्हें व्यापारी कहा जाता है। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है। जैसे- सब्जियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्जी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्जियां खरीद लेता है इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। हम इसे यहाँ दिए गए उदाहरणों से समझेंगे हर शहर में थोक बाजार का एक क्षेत्र होता है यहाँ वस्तुएँ पहले पहुँचती हैं और यहीं से वे अन्य व्यापारियों तक पहुँचती हैं। सड़क किनारों की दुकान का छोटा व्यापारी, जिसके बारे में आपने पहले पढ़ा था।

प्रश्न 4 – सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महंगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:-  सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। वह किसी भी दुकान से सामान ले सकता है। जैसे कि कविता और सुजाता अंजल मॉल गई। उन्होंने वहाँ एक दुकान में महँगे कपड़े देखें। वहाँ कोई भी कपड़ा 3000 रूपए से कम नहीं था। उन्होंने देखा कि यह कीमत साप्ताहिक बाजारों की कीमत से पाँच गुना अधिक थी। इसलिए उन्होंने वहाँ कोई कपड़ा नहीं खरीदा और वे खाली हाथ घर वापस आ गयीं। साथ में सबको सामान लेने या ना लेने का भी अधिकार होता है।

प्रश्न 5 – बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:- बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है क्योंकि आजकल पहले के मुकाबले बहुत सारी सुविधाए बढ़ गई है। जैसे:- हम इंटरनेट और मोबाइल के द्वारा घर पर कुछ मंगवा भी सकते है और बेच भी सकते है। इनकी वजह से किसी भी व्यक्ति को दुकान पर बैठने की भी जरूरत नहीं होती और आजकल तो किसी को दुकान लेने की भी जरूरत नहीं होती वो घर में ही फोन और इंटरनेट के माध्यम से सामान खरीद और बेच सकते है।

एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 7 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन पीडीएफ