NCERT Solutions Class 12 Hindi-Aroh Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल)

NCERT Solutions Class 12 Hindi-Aroh Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल)

NCERT Solutions Class 12 Hindi-Aroh from class 12th Students will get the answers of Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल) This chapter will help you to learn the basics and you should expect at least one question in your exam from this chapter.
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Solutions Class 12 Hindi-aroh Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल)
NCERT Question-Answer

Class 12 Hindi-Aroh

Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल)

Questions and answers given in practice

Chapter-9 (रुबाइयाँ, गज़ल)

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?

उत्तर:
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि रक्षाबंधन सावन के महीने में आता है। इस समय आकाश में घटाएँ छाई होती हैं तथा उनमें बिजली भी चमकती है। राखी के लच्छे बिजली कौधने की तरह चमकते हैं। बिजली की चमक सत्य को उद्घाटित करती है तथा राखी के लच्छे रिश्तों की पवित्रता को व्यक्त करते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है, वही संबंध भाई का बहन से है।

प्रश्न 2.
खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?

उत्तर:
परदा खोलने से आशय है – अपने बारे में बताना। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की निंदा करता है या बुराई करता है। तो वह स्वयं की बुराई कर रहा है। इसीलिए शायर ने कहा कि मेरा परदा खोलने वाले अपना परदा खोल रहे हैं।

प्रश्न 3.
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं – इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।

उत्तर:
कवि अपने भाग्य से कभी संतुष्ट नहीं रहा। किस्मत ने कभी उसका साथ नहीं दिया। वह अत्यधिक निराश हो जाता है। वह अपनी बदकिस्मती के लिए खीझता रहता है। दूसरे, कवि कर्महीन लोगों पर व्यंग्य करता है। कर्महीन लोग असफलता मिलने पर भाग्य को दोष देते हैं और किस्मत उनकी कर्महीनता को दोष देती है।

प्रश्न 4.
टिप्पणी करें।
(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।

उत्तर:
(क) गोदी के चाँद से आशय है – बच्चा और गगन के चाँद से आशय है – आसमान में निकलने वाला चाँद। इन दोनों में गहरा और नजदीकी रिश्ता है। दोनों में कई समनाताएँ हैं। आश्चर्य यह है कि गोदी का चाँद गगन के चाँद को पकड़ने के लिए उतावला रहता है तभी तो सूरदास को कहना पड़ा ”मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।”
(ख) रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार सावन के महीने में आता है। सावन की घटाएँ जब घिर आती हैं तो चारों ओर खुशी की बयार बहने लगती है। राखी का यह त्यौहार इस मौसम के द्वारा और अधिक सार्थक हो जाता है। सावन की काली-काली घटाएँ भाई को संदेश देती हैं कि तेरी बहन तुझे याद कर रही है। यदि तू इस पवित्र त्यौहार पर नहीं गया तो उसकी आँखों से मेरी ही तरह बूंदें टपक पड़ेगी।

कविता के आसपास

प्रश्न 1.
इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोग को छाँटिए।

उत्तर:
हिंदी के प्रयोग-

  • आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
    हाथों में झुलाती है उसे गोद-भरी
  • गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
  • किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
  • दीवाली की शाम घर पुते और सजे
  • रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली
  • छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी
  • बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
  • भाई के है बाँधती चमकती राखी

उर्दूके प्रयोग-

  • उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
  • देख आईने में चाँद उतर आया है

लोकभाषा के प्रयोग-

  • रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
  • जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े
  • आँगन में दुनक रहा है जिदयाया है
  • बालक तो हई चाँद पै ललचाया है

प्रश्न 2.
फिराक ने ‘सुनो हो, ‘रक्खो हो’ आदि शब्द मीर की शायरी के तर्ज पर इस्तेमाल किए हैं। ऐसी ही मीर की कुछ गज़लें ढूँढ़ कर लिखिए।

उत्तर:

(1) उलटी हो गई सब तदबीरें
कुछ न दवा ने काम किया
अहदे जवानी रो-रो काटा
पीरी मैली आँखें मूंद
यानि रात बहुत जागे थे।
सुबह हुई आराम किया
‘मीर’ के दीन ओ इमां को
आख़िर इस बीमारी-ए-दिल ने
दिल का काम तमाम किया
तुम पूछते हो क्या?
उसने तो कशकां खींचा
दैर में बैठा कबका
अर्क इस्लाम किया।
(2) मर्ग एक मादंगी का वक्फा है।
यानि आगे चलेंगे दम लेकर ।
हस्ती अपनी हबाब की-सी है।
ये नुमाइश सबाब की-सी है।
चश्मे दिल खोल इस ही आलम पर
याँकि औकात ख्वाब की-सी है।
(3) हस्ती अपनी हुबाब की-सी है।
ये नुमाइश सराब की-सी है।
नाजुक उसके लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की-सी है।
सहमे दिल खोल इस भी आलम पर
याँ की औकता ख्वाब की-सी है।
बारहा उसके दर पे जाता हूँ।
हालत अब इज्तिराब की-सी है।
मैं जो बोला कहा कि ये आवाज
उसी खाना खराब की-सी है।
मीर उन नीम बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की-सी है।
(4) हमने अपनी सी की बहुत लेकिन
मरीजे-इश्क का इलाज नहीं
जफायें देखीं लियाँ बेवफाइयाँ देखीं
भला हुआ कि तेरी सब बुराइयाँ देखीं
दिल अजब शहर था ख्यालों
आवारगाने इश्क का पूछा जो मैं निशां
मुश्ते-गुबारे लेके सबा ने उड़ा दिया
शाम से ही बुझा-सा रहता है।
दिल हुआ है चिराग मुफलिस का
क्या पतंगों ने इल्तिमास किया।
का दिल की वीरानी का क्या मज्कूर है।
ये नगर सौ मरतबा लूटा गया।
(5) इब्तिदाए इश्क है रोता है क्या
आगे आगे देखिये होता है क्या,
अब तो जाते हैं मयकदे से ‘मीर’
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया
मेरे रोने की जिसमें थी
एक मुद्द्दत तक वो कागज़ नम रहा
इस इस शोर से ‘मीर’ रोता रहेगा
तो हमसाया काहे को सोता रहेगा
तो हमसाया काहे को सोता रहेगा
हम फकीरों से बेवफाई की
आन बैठे जो तुमने प्यार किया
सख्त क़ाफिर था जिसने पहले ‘मीर’
मज़हब इश्क इख्तियार किया।
मिले सलीके से मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया

आपसदारी

प्रश्न 1.
कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रूबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।                                                                                                      -सूरदास
(ख) वियोगी होगा पहला कवि                              उमड़ कर आँखों से चुपचाप
आह से उपजा होगा गान                                      बही होगी कविता अनजान                            -सुमित्रानंदन पंत
(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार                                                                                            -कबीर

उत्तर:
(क) आँगन में तुनक रहा है जिदयाया है।
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।

(ख)
 आबो ताबे अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
ऐसे में तू याद आए हैं अंजमने मय में रिंदो को,
रात गए गर्दै पे फरिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।

(ग)
 “ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी होलें हैं।”

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा कब पूँजी है?

उत्तर:
जब माँ अपने बच्चे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है तो बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा पूँजती है। बच्चा खुले वातावरण में आकर बहुत खुशी महसूस करता है। जब वह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है तो वह रोमांचित हो उठता है।

प्रश्न 2.
माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?

उत्तर:
माँ बच्चे को छलकते हुए निर्मल और स्वच्छ पानी से नहलाती है। उसके बालों में प्यार से कंघी करती है। उसे कपड़े पहनाती है। यह सारे कार्य देखकर बच्चा बहुत खुश होता है। वह ठंडे पानी से नहाकर ताजा महसूस करता है। अपनी माँ को प्यार से देखता है।

प्रश्न 3.
बच्चा किस वस्तु के कारण लालची बन जाता है?

उत्तर:
बच्चा जब चाँद को देखता है तो उसका मन लालची हो जाता है। वह चाँद को पकड़ने की जिद करता है। वह माँ से कहता है कि मुझे यही वस्तु चाहिए। चाँद को देखते ही उसका मन लालच से भर जाता है।

प्रश्न 4.
क्या शायर भाग्यवादी है?

उत्तर:
शायर बिलकुल भी भाग्यवादी नहीं है। उसे अपने भाग्य पर बिलकुल भरोसा नहीं। वह तो कहता है कि मैं और मेरी किस्मत दोनों मिलकर रोते हैं। वह मुझ पर रोती है और मैं उस पर रो लेता हूँ। दोनों परस्पर विरोधी हैं। इसलिए कह सकते हैं। कि शायर भाग्यवादी नहीं कर्मवादी है। भाग्य की अपेक्षा उसे अपने कर्म पर विश्वास है।

प्रश्न 5.
इश्क की फितरत को शायर ने क्या बताया है?

उत्तर:
इश्क की फितरत अर्थात् आदत है कि इससे व्यक्ति को कुछ प्राप्त नहीं होता। व्यक्ति जितना पाता है उतना ही नँवा भी देता है। इसलिए इश्क में कुछ पा लेना संभव ही नहीं है। किसी ने आज तक इश्क में कुछ भी नहीं पाया केवल खोया ही है। अपना चैन आँवाया है।

प्रश्न 6.
फिराक गोरखपुरी की भाषा-शैली पर विचार करें।

उत्तर:
फिराक गोरखपुरी मूलत: शायर हैं। रुबाइयाँ भी उन्होंने लिखी हैं। इन सबके लिए उन्होंने प्रमुख रूप से उर्दू भाषा का प्रयोग किया है। खास बात यह है कि इनकी भाषा में कठिनाई नहीं है। हाँ, कुछ शब्द उलझाव पैदा करते हैं, लेकिन वे पाठक को कठिन नहीं लगते।

प्रश्न 7.
गोरखपुरी की अलंकार योजना पर प्रकाश डालें।

उत्तर:
फिराक ने कई अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इसलिए उनकी रुबाइयों और गजलों में अलंकारों का प्रयोग थोपा हुआ नहीं लगता। ये भावों और प्रसंगों के अनुकूल इनमें आए हैं। शायर ने मुख्य रूप से रूपक, उपमा, अनुप्रास, संदेह और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 8.
गोरखपुरी की रुबाइयों के कला पक्ष के बारे में बताएँ।

उत्तर:
गोरखपुरी की रूबाइयाँ कलापक्ष की दृष्टि से बेहतरीन बन पड़ी हैं। भाषा सहज, सरल और प्रभावी हैं। भावानुकूल शैली का प्रयोग हुआ है। उर्दू शब्दावली के साथ-साथ शायर ने देशज संस्कृत के शब्दों का प्रयोग भी स्वाभाविक ढंग से किया है। लोका, पिन्हाती, पुते, लावे आदि शब्दों के प्रयोग से उनकी रुबाइयाँ अधिक प्रभावी बन पड़ी हैं।

प्रश्न 9.
रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के हैं बाँधती चमकती राखी”-इस रुबाई का कला सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर:
भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली है। शायर ने उर्दू शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भावानुकूल प्रयोग किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और रूपक अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें-
आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ीं
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

उत्तर:
कवि बताता है कि माँ अपने चाँद जैसे बच्चे को आँगन में लिए खड़ी है। वह हाथों के झूले में झुला रही है। वह उसे हवा में धीरे-धीरे उछाल रही है। इस काम से बच्चे की हँसी गूंज उठती है। ‘चाँद के टुकड़े’ में उपमा अलंकार है। ‘रहरह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। बालसुलभ चेष्टाओं का वर्णन है। उर्दू मिश्रित शब्दावली है। गेयता है। दृश्य बिंब है। भाषा सहज व सरल है। उर्दू भाषा है।

प्रश्न 11.
फिराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘फिराक गोरखपुरी की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप की स्वाभाविकता और सात्विकता के अनूठे चित्र चित्रित हुए हैं’ – पाठ्यपुस्तक में संग्रहीत रुबाइयों के आधार पर उत्तर दीजिए।
 
उत्तर:
फिराक की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप का स्वाभाविक चित्रण मिलता है। माँ अपने शिशु को आँगन में लिए खड़ी है। वह उसे झुलाती है। बच्चे को नहलाने का दृश्य दिल को छूने वाला है। दीवाली व रक्षाबंधन पर जिस माहौल को चित्रित किया गया है। वह आम जीवन से जुड़ा हुआ है। बच्चे का किसी वस्तु के लिए जिद करना तथा उसे किसी तरह बहलाने के दृश्य सभी परिवारों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
रुबाइयाँ के आधार पर घर आँगन में दीवाली और राखी के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।

उत्तर:
दीवाली के त्योहार पर पूरा घर रंगरोगन से पुता हुआ है। माँ अपने नन्हें बेटे को प्रसन्न करने के लिए चीनी मिट्टी के जगमगाते खिलौने लेकर आती है। वह बच्चों के घर में दीया जलाती है। इसी तरह राखी के समय आकाश में काले-काले बादलों की हल्की घटा छाई हुई है। छोटी बहन ने पाँवों में पाजेब पहनी हुई है जो बिजली की तरह चमक रही है।

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खंड-ग : पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक

आरोह, भाग-2

(पाठ्यपुस्तक)

(अ) काव्य भाग

(ब) गद्य भाग