NCERT Solutions Class 7 हमारे अतीत Chapter-3 (दिल्ली के सुल्तान)

NCERT Solutions Class 7 हमारे अतीत Chapter-3 (दिल्ली के सुल्तान)

NCERT Solutions Class 7  हमारे अतीत 7 वीं कक्षा से Chapter-3 (दिल्ली के सुल्तान) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी हमारे अतीत के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 7 हमारे अतीत Chapter-3 (दिल्ली के सुल्तान)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 7 हमारे अतीत

पाठ-3 (दिल्ली के सुल्तान)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-3 (दिल्ली के सुल्तान)

प्रश्न 1 – दिल्ली में पहले- पहल किसने राजधानी स्थापित की ?

उत्तर:-तोमर राजपूतो ने पहले – पहल दिल्ली में राजधानी स्थापित की। बारहवीं सदीं के मध्य में तोमरो को अजमेर के चौहानों ( जिन्हें चाहमान नाम से भी जाना जाता है) ने परास्त किया। तोमरो और चौहानों के राज्यकाल में ही दिल्ली वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।

प्रश्न 2 – दिल्ली के सुलतानों के शासनकाल में प्रशासन की भाषा क्या थी ?

उत्तर:- दिल्ली के सुलतानों के शासनकाल में प्रशासन की भाषा फ़ारसी थी। उस समय त्वारीख के लेखक, सचिव, प्रशासक, कवि और दरबारियों जैसे सुशिक्षित व्यक्ति होते थे जो घटनाओ का वर्णन भी करते थे और शासको को प्रशासन संबंधी सलाह भी देते थे।

प्रश्न 3 – किसके शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ ?

उत्तर:- सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार अलाउद्दीन खिलजी और मुहमद तुगलक के शासन के दौरान हुआ। इस समय बहुत सारी चुनौतियो का सामना करना पड़ता था। इन चुनौतियो के चलते सल्तनत बड़ी मुश्किल से शासन काल को बचाए हुई थी।

प्रश्न 4 – इब्न बतूता किस देश से भारत में आया था ?

उत्तर:-इब्न बत्तूता मोरक्को (उत्तर अफ्रीका) देश का यात्री था। इब्न बत्तूता की इच्छा बचपन से ही मुसलमानो के धार्मिक स्थलों को देखने की रही और यही कारण बना की वो मुसलामानों में से सबसे महान यात्री था। इब्न बत्तूता तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ईस्वी) के शासनकाल में भारत आया था।

आइए समझे

प्रश्न 5 – ’न्याय चक्र के अनुसार सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना क्यों जरूरी था ?

उत्तर:-तेरहवीं सदीं के इतिहासकार फ़ख ए मुदब्बीर ने लिखा था कि  न्याय चक्र के अनुसार सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना इसलिए जरुरी था क्योंकि वेतन आता है किसानों से एकत्रित किये गए राजस्व से और किसान भी राजस्व तभी चुका सकते थे जब वे खुशहाल और प्रसन्न हों। और ऐसा तभी हो सकता है जब राजा ईमानदार और न्याय प्रशासन को बढ़ावा दे। इसलिए सेनानायक किसानों को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करते थे। संपन्न किसान भूमि कर देते थे। इन करों से ही सेना को वेतन मिलता था।

प्रश्न 6 – सल्तनत की भीतरी और बाहरी सीमा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:- सल्तनत की भीतरी सीमाओं से अभिप्राय यह है कि गैरिसन शहरो की पृष्टभूमि में स्थित भीतरी क्षेत्रों की स्थिति को मजबूत करना। ये गंगा – यमुना के दोआब से जंगलों तक फैले हुए थे। व्यापार मार्गो की सुरक्षा और क्षेत्रीय व्यापार की उन्नति के खातिर नए किले, गैरिसन शहर बनाए और बसाए गए। सल्तनत की बाहरी सीमा से अभिप्राय उस क्षेत्र से था जो दिल्ली से बहुत दूर अर्थात दक्षिण भारत में पड़ता था। यह अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में दक्षिण भारत को लक्ष्य करके सैनिक अभियान शुरू करने के लिए बनाए गये थे।

प्रश्न 7 – मुक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करें, यह सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए थे ? आपके विचार में सुलतान के आदेशों का उल्लंघन करना चाहने के पीछे उनके क्या कारण हो सकते थे ?

उत्तर:- मुक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करे यह सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए थे जो कि इस प्रकार है:- मुक्ति लोगों द्वारा एकत्रित किए गए राजस्व की रकम का हिसाब लेने के लिए राज्य द्वारा लेखा अधिकारी नियुक्त किए जाते थे। इस बात का भी ध्यान रखा जाता था कि मुक्ति राज्य द्वारा निर्धारित कर ही वसूले और तय संख्या के अनुसार सैनिक रखे। मुक्ति लोगों पर काबू रखने का सबसे प्रभावी तरीका यह था कि उनका पद वंश परम्परा से न चलें और इन्हें कोई भी इक्ता थोड़े थोड़े समय के लिए ही मिले जिसके बाद उनका स्थानान्तरण कर दिया जाए। मुक्ति लोग सुलतान के आदेशों की अवहेलना करते थे। धन तथा सैन्य संचालन मुक्ति लोगों के हाथ में होता था। इसी कारण मुक्ति लोग सुलतान के आदेशों का उल्लंघन करते थे।

प्रश्न 8 – दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों का क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर:-दिल्ली सल्तनत पर जैसे ही मंगोलों के धावे बढ़ गए, इससे मजबूर होकर दोनों सुल्तानों को  स्थानीय विशाल सेना खड़ी करनी पड़ी। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सैनिको के लिए सीरी नामक एक नया गैरिसन शहर बनाया। मुहम्मद तुगलक ने अपने सैनिको के लिए दिल्ली के चार शहरो में से सबसे पुराने शहर देहली – ए – कुहना में जगह बनवाई। सैनिको के खाने के लिए उन्होंने किसानों की पैदावार का 50 प्रतिशत हिस्सा कर के तौर पर तय कर दिया था। सैनिकों को इक्ता के स्थान पर नकद वेतन देने का तय किया। व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली चीजो की कीमतो को नियंत्रित किया ताकि वे अपने सैनिको की सभी आवशकताएं पूरी कर सके। लेकिन मुहम्मद तुगलक ने आज की मुद्रा की तरह कुछ टोकन चलाए जो कि नकली भी आसानी से बनाए जा सकते थे। अलाउद्दीन ख़लजी के प्रशासनिक कदम सफल रहे और मंगोल आक्रमण में जीता भी लेकिन मुहम्मद तुगलक हार गया और उसे अपनी सेना भंग करनी पड़ी।

आइए विचार करे

प्रश्न 9 – क्या आपकी समझ में तवारीख के लेखक, आम जनता की जीवन के बारे में कोई जानकारी देते हैं ?

उत्तर:-तवारीख के लेखक आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं देते होंगे क्योंकि ये सिर्फ अपने इतिहास के सुल्तानों के लिए लिखते थे। ताकि उन्हें ढ़ेर सारा इनाम मिल सके। ये लेखक अकसर शासको को जन्मसिध् अधिकार और लिंग भेद पर आधारित आदर्श समाज व्यवस्था बनाए रखने की सलाह देते थे। जिसमें कई लोग उनके विचारों से सहमत नहीं होते थे। और ये विशेषकर दिल्ली में रहते थे जहाँ  ज्यादातर ऊचे घरानो से उनकी मुलाकात होती जहा उन्हें इनाम मिले और आम लोगों इनके विचारों को मानते नहीं थे। इसलिए इन्होंने आम जनता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

प्रश्न 10 – दिल्ली सल्तनत के इतिहास में रजिया सुल्तान अपने ढंग की एक ही थीं। क्या आपको लगता है कि आज महिला नेताओं को ज्यादा आसानी से स्वीकार किया जाता है ?

उत्तर:- सन 1236 में सुल्तान इल्तुमिश की बेटी रजिया सुलतान सिंघासन पर बैठी थी। उस युग के इतिहासकार मिनाज मिन्हाज – ए – सिराज ने स्वीकार किया कि वह अपने सभी भाइयों से योग्य और सक्षम थी लेकिन फिर भी वह एक शासक के रूप में उन्हें मान्यता नहीं दे पा रहा था। दरबारी जन भी उनके स्वतन्त्र रूप से शासन करने को प्रसन्न नहीं थे। इसलिए उन्हें सन 1240 में शासन से हटा दिया गया था। लेकिन आज के समय में ऐसी स्थिति नहीं है। आजकल महिलाएं हर क्षेत्र में विकास कर रही है। महिलाएं बहुत से देशों की प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति पद पर महिलाएं कार्य कर रही है, और उनके निर्णयो को स्वीकृत भी किया जाता है। उनको नेताओं की दुनिया में आने के लिए किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव या विद्रोह का सामना नहीं करना पड़ता।

प्रश्न 11 – दिल्ली के सुल्तान जंगलो को क्यों कटवा देना चाहते थे? क्या आज भी जंगल उन्हीं कारणों से काटे जा रहे है ?

उत्तर:- दिल्ली के सुल्तान जंगलों को कटवा कर कृषि भूमि को बढ़ाना चाहते थे। वे कृषि भूमि को बढ़ाकर अपना राजस्व बढ़ाना चाहते थे। व्यापार मार्गों की सुरक्षा तथा क्षेत्रीय व्यापार की उन्नति के लिए भी जंगलों को साफ करवाना चाहते थे। आज निम्नलिखित कारणों से जंगल साफ किए जा रहे है। सड़को के निर्माण के लिए। कृषि योग्य भूमि प्राप्त करने के लिए। लकड़ी प्राप्त करने के लिए। घर , प्राइवेट, सरकरी कार्यालय बनाने के लिए।

आइए करके देखें

प्रश्न 12 – पता लगाइए कि आपके इलाके में दिल्ली के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई कोई इमारत है ? क्या आपके इलाके में और भी कोई ऐसी इमारत है जो 12वीं से 15 वीं सदी के बीच बनाई गई हो? इनमें से कुछ इमारतों का वर्णन कीजिए और उनके रेखाचित्र बनाइए ।

उत्तर:- दिल्ली के सुल्तानों द्वारा बनाई गई ऐसी कई इमारते है। जैसे:- अढ़ाई दिन का झोपडा , इल्तुमिश का मकबरा, जमातखाना मस्जिद, जहापनाह नगर। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कुतुबमीनार जो अभी भी हम देखने जा सकते है। और इसका निर्माण 13वीं सदी के बीच हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में शुरू करवाया था। लेकिन सिर्फ एक ही मंजिल का निर्माण करवा पाए। बाकी का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया। यह ईटों से बनी विश्व की सबसे अधिक ऊची मीनार है।

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