NCERT Solutions class 12 वितान Chapter 4 - डायरी के पन्ने

NCERT Solutions class 12 Core hindi वितान Chapter 4 - डायरी के पन्ने

NCERT Solutions Class 12  कोर हिंदी वितान भाग 2 12 वीं कक्षा से Chapter 4 डायरी के पन्ने के महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी  वितान  के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
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वितान पाठ-4 डायरी के पन्ने

1. "यह साठ लाख लोगों की तरफ़ से बोलने वाली एक आवाज़ है। एक ऐसी आवाज़, जो किसी संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण-सी लड़की की है।"इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें।

उत्तर:- ऐन की डायरी एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज है,जिसने भूमिगत रहते हुए उस यातना, अत्याचार को भोगा है जो उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों को दी जा रही थी साथ ही उसके निजी सुख-दुःख और भावनात्मक उथल-पुथल का प्रमाण भी है क्योंकि इसमें ऐन ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हॉलैंड के यहूदी परिवारों की अकल्पनीय यंत्रणाओं का वर्णन करने के साथ-साथ, वहाँ की राजनैतिक स्थिति एवं युद्ध की विभीषिका का भी जीवंत वर्णन किया है। यहूदियों को तरह-तरह के भेदभाव पूर्ण ओर अपमानजनक नियम-कायदों को मानने के लिए बाध्य किया जा रहा था ।गेस्टापो (हिटलर की खुफिया पुलिस) छापे मारकर यहूदियों को अज्ञातवास से ढूँढ निकालती और यातनागृह में भेज देती। चारों तरफ अराजकता फैली हुई थी। यहूदी अज्ञातवास में रहते हुए निरंतर अंधेरे कमरों में जीने को मजबूर थे। उनके पास राशन एवं बिजली का कोटा था,उनके पास फटे पुराने कपड़े एवं जूते थे,उनके सामान की कोई सुरक्षा नहीं थी ,हरतरफ भय, आतंक का माहौल था।लोग खुली सड़क पर चलने से डरते थे। उन्हें एक अमानवीय जीवन जीने को बाध्य होना पड़ा। हिटलर की नाजी फौज का खौफ उन्हें हर वक्त आतंकित करता रहता था। इसलिए इल्या इहरनबुर्ग की यह टिप्पणी कि "यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है। एक ऐसी आवाज जो किसी संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण-सी लड़की की है।' सर्वमान्य एवं सत्य है।

2. "काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला...।" क्या

आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है?

उत्तर:- यह सत्य है कि लेखक आत्माभिव्यक्ति के लिए लिखता है यदि उसे कोई साधन अभिव्यक्ति का नहीं मिलता है तो वह स्वयं ही अपना साधन खोज लेता है ऐसा ही ऐन ने किया था।ऐन भी अपने अनुभवों को डायरी के माध्यम से व्यक्त करती है। पढ़ाई के लिए उसे कई बार डाँट-फटकार मिलती है। वह एक जगह लिखती है - मेरे दिमाग में हर समय इच्छाएँ, विचार, आरोप तथा डाँट-फटकार ही चक्कर खाते रहते हैं। मैं सचमुच उतनी घमंडी नहीं हूँ जितना लोग मुझे समझते हैं। मैं किसी और की तुलना में अपनी कई कमजोरियों और खामियों को बेहतर तरीके से जानती हूँ।' तथा दूसरे स्थान पर वह कहती है - 'लोग मुझे अभी भी इतना नाक घुसेडू और अपने आपको तीसमारखाँ समझने वाली क्यों मानते हैं? ऐसे बहुत से विचार उसके मन में उमड़ते रहते थे जिन्हें वह कह नहीं पाती थी।'ऐन आठ सदस्यों के समूह में सबसे छोटी थी,उसकी माँ उसे सिर्फ उपदेश देती थी,सुनती नहीं थी। पीटर उसे पसन्द था लेकिन वह भी उसकी भावनाएं नहीं समझता था,वह प्रकृति निहारना चाहती थी,दौड़ना चाहती थी किन्तु कोई रास्ता न देखकर ऐन ने अपनी भावनाएँ डायरी के माध्यम से प्रकट करना प्रारम्भ कर दिया।

3. 'प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें- इस की स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व-व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व-विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की है।

ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूँढें।

उत्तर:- ऐन के अनुसार औरतों को उनके हिस्से का सम्मान मिलना चाहिए। पुरुषों ने औरतों पर शुरू से ही इस आधार पर शासन करना शुरू किया कि वे उनकी तुलना में वे शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम हैं ।पुरुष ही कमाकर लाता है बच्चे पालता पोसता है और जो मन में आए, करता है, लेकिन हाल ही में स्थिति बदली है। सौभाग्य से शिक्षा, काम तथा प्रगति ने औरतों की आँखें खोली हैं। औरत ही तो है जो मानव जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए न जाने इतनी तकलीफों से गुजरती है और संघर्ष करती है। वह जितना संघर्ष एवं श्रम करती है, उतना तो सिपाही भी नहीं करते। ऐन के कहने का कतई मतलब बिल्कुल नहीं है कि औरतों को बच्चे जनना बंद कर देना चाहिए,बल्कि अपने अधिकारों के लिए सजग रहना चाहिए। इसके विपरीत प्रकृति चाहती है कि वे ऐसा करें और इस वजह से उन्हें यह काम करते रहना चाहिए।वह समाज के लिए

औरतों का योगदान सर्वोपरि मानती है।

ऐन सिर्फ इतना चाहती है कि समाज औरतों के योगदान को सराहे और उनका सम्मान करे।

4. "ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज़ है, तो साथ ही उसके निजी सुख-दुःख और भावनात्मक उथल- पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फ़र्क मिट गया है।" इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्वक व्यक्तकरें।

उत्तर:- ऐन की डायरी से हमें उसके जीवन व तत्कालीन परिवेश का परिचय मिलता है। इसमें द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हॉलैंड के यहूदी परिवारों की अकल्पनीय यंत्रणाओं का वर्णन करने के साथ-साथ, वहाँ की राजनैतिक स्थिति एवं युद्ध की विभीषिका का जीवंत वर्णन किया गया है। यहूदियों को तरह-तरह के भेदभाव पूर्ण ओर अपमानजनक नियम-कायदों को मानने के लिए बाध्य किया जाने लगा। गेस्टापो (हिटलर की खुफिया पुलिस) छापे मारकर यहूदियों को अज्ञातवास से ढूंढ़ निकालती ओर यातनागृह में भेज देती। हिटलर के घायल सैनिकों में हिटलर से हाथ मिलाने का जोश, अराजकता का माहौल आदि। साथ ही यह डायरी ऐन के पारिवारिक सुख-दुःख और भावनात्मक स्थिति को भी प्रकट करती है - गरीबी, भुखमरी, अज्ञातवास में जीवन व्यतीत करना, दुनिया से बिलकुल कट जाना, पकड़े जाने का डर, आतंक,बिट्रेन से हालैंड को मुक्त कराने का प्रयास,हिटलर का सैनिकों से साक्षात्कार आदि परिस्थितियों का वर्णन है। इस तरह यह डायरी ऐतिहासिक दस्तावेज होने के साथ-साथ ऐन के जीवन के सुख-दुख का चित्रण भी है।

5. ऐन ने अपनी डायरी 'किट्टी' (एक निर्जीव गुडिया) को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की ज़रूरत क्यों महसूस की होगी?

उत्तर:- ऐन जब अज्ञातवास में थी तब उसकी आयु मात्र आठ वर्ष की थी।यह ऐसी अवस्था होती है जब मन में उत्सुकता, जिज्ञासा होती है ,मन समाधान चाहता है। अज्ञातवास में ऐन से बाते करनेवाला और उसके भावों को समझने वाला कोई न था एवं बड़ों की बातें सुन- सुनकर वह उब गई थी। वह एक निर्जीव गुडिया को काल्पनिक मित्र बनाती है और उसे संबोधित कर अपनी बातें पन्नों में अंकित करती जाती है और यही चिट्ठियाँ डायरी की शक्ल में बदल जाती है।

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