NCERT Solutions Class 6 हमारे अतीत Chapter-9 (खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर)

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NCERT Solutions Class 6  हमारे अतीत 6 वीं कक्षा से Chapter-9 (खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी हमारे अतीत के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
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एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 6 हमारे अतीत

पाठ-9 (खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-9 (खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर)

1. लोहे की ऐसी पाँच चीज़ों की सूची बनाओ जिनका प्रयोग तुम रोज़ करते हो।

उत्तर- प्रतिदिन प्रयोग होने वाली लोहे की चीजें- (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-87)

  1. कुर्सी
  2. पेंचकस
  3. हथौड़ा
  4. तवा
  5. चिमटा

2. इस कहानी में आए व्यक्तियों के व्यवसायों की सूची बनाओ। प्रत्येक के लिए यह तय करो कि वे

(क) शहर में,

(ख) गाँव में, या फिर

(ग) शहर तथा गाँव

दोनों में रहते थे। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-90)

उत्तर-

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3. घोड़े का व्यापारी शहर में क्यों आया होगा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-90)

उत्तर- घोड़े का व्यापारी शहर में घोड़े बेचने के लिए आया होगा।

4. क्या महिलाएँ कहानी में बताए व्यवसायों को अपना सकती थीं? उत्तर के कारण बताओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-90)

उत्तर-महिलाएँ कहानी में बताए व्यवसायों को नहीं अपना सकती थी क्योंकि वे घरेलू कार्यों में व्यस्त रहती थीं

तथा घर से बाहर कम ही निकलती थीं।

5. साँची की मूर्तिकला। यह मध्य प्रदेश स्थित साँची के स्तूप की मूर्तिकला का नमूना है। इसमें शहर के जीवन का एक दृश्य है। तुम अध्याय 12 में साँची के बारे में पढ़ोगे। इन दीवारों को देखो। क्या । वे ईंट की बनी हैं या फिर लकड़ी या पत्थर से? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-91)

उत्तर- ये दीवारें तराशे हुए पत्थरों से बनी है।

6. क्या इसकी रेलिंग लकड़ी की बनी हैं? इन इमारतों की छतों का वर्णन करो। ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-91)

उत्तर- हाँ, इसकी रेलिंग लकड़ी की बनी है। इन इमारतों की छतों को बनाने के लिए पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है।

7. बेरिगाज़ा से आयात और निर्यात होने वाली चीज़ों की सूची बनाओ। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-92)

उत्तर- बेरिगाज़ा में आयात होने वाली चीजें- बेरिगाजा में शराब, ताँबा, टिन, सीसा, मूंगा, पुखराज, कपड़े, सोने और चाँदी के सिक्कों का आयात होता था। बेरिगाजा से निर्यात होने वाली चीजें-हिमालय की जड़ी-बूटियाँ, हाथी-दाँत गोमेद, कार्नीलियन, सूती कपड़ा, रेशम तथा इत्र बेरिंगाजा से निर्यात किए जाते थे।

8. दो ऐसी चीजें बताओ, जिनका उपयोग हड़प्पा युग में नहीं होता था। ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-92)

उत्तर- हड़प्पा युग में घोड़े तथा रागी (एक प्रकार का अनाज) का प्रयोग नहीं किया जाता था।

9. व्यापारी किस चीज़ से इसका विनिमय करते हैं? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-93 )

उत्तर- व्यापारी नमक से सफेद धान का विनियम करते हैं।

10. वे किस तरह यात्रा कर रहे हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-93)

उत्तर- व्यापारी रेतीले रास्ते पर गाड़ियों से यात्रा कर रहे हैं।

11. मथुरा के लोगों के व्यवसायों की एक सूची बनाओ। एक ऐसे व्यवसाय का नाम बताओ जो हड़प्पा में नहीं था। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-94)

उत्तर- मथुरा के लोग मूर्तिकार, बुनकर, लोहार, टोकरी बनाने वाले, माला बनाने वाले, इत्र बनाने वाले जैसे व्यवसाय में संलग्न थे। इत्र बनाने का व्यवसाय हड़प्पा युग में नहीं था।

12. उन महिलाओं की सूची बनाओ जिन्हें निरीक्षक नियुक्त कर सकता था। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-95)

उत्तर- जिन महिलाओं को निरीक्षक नियुक्त किया जा सकता था वे इस प्रकार है

  1. विधवाएँ
  2. सक्षम-अक्षम महिलाएँ
  3. भिक्खुणियों
  4. वृद्धा वेश्याओं
  5. अवकाश प्राप्त दास और दासियाँ।
  6. अवकाश प्राप्त देवदासियाँ

13. क्या काम करने के दौरान महिलाओं को मुश्किलें झेलनी पड़ती थीं? ( एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-95)

उत्तर- काम करने के दौरान महिलाओं को बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती थी और अगर औरत ने अपना काम समय से पूरा नहीं किया, तो उसे जुर्माना देना पड़ता था। जुर्माने के रूप में अँगूठा तक भी काटा जा सकता था।

14. रोम के साथ संबंध दर्शाने वाले साक्ष्य की सूची बनाओ। । (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-96)

उत्तर-रोम के साथ संबंध दर्शाने वाले साक्ष्य

  1. भूमध्य-सागरीय क्षेत्र के एंफोरा जैसे पात्र मिले हैं।
  2. एरेटाइन’ जैसे मुहर लगे लाल-चमकदार बर्तन भी मिले हैं।
  3. रोमन लैंप, शीशे के बर्तन तथा रत्न मिले हैं।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-96)

मानचित्र 6 (पृष्ठ 84) में रोम को ढूँढो। यह यूरोप के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इसका विकास लगभग । तभी हुआ, जब गंगा के मैदान के शहर बस रहे थे। रोम एक बहुत बड़े साम्राज्य की राजधानी था। यह यूरोप, उत्तरी अफ्रीका तथा पश्चिमी एशिया तक फैला साम्राज्य था। इसके सबसे महत्त्वपूर्ण शासकों में से एक ऑगस्टस ने करीब 2000 साल पहले शासन किया था। उसने कहा था कि रोम ईंटों का शहर था, जिसे मैंने संगमरमर का बनवाया।

ऑगस्टस और उसके बाद के शासकों ने कई मंदिर तथा महल भी बनवाए। ऑगस्टस ने बड़े-बड़े रंगमंडल (एम्फिथियेटर) बनवाए। इनमें चारों तरफ दर्शकों के बैठने की सीढ़ीनुमा जगहें होती थीं। यहाँ लोग विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम देख सकते थे। उन्होंने स्नानागार भी बनवाए जहाँ स्त्रियों तथा पुरुषों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित थे। यहाँ लोग एक-दूसरे से मिलते थे, और आराम करते थे। बड़े-बड़े जलवाही सेतु (एक्वाडक्ट) के ज़रिए शहर के स्नानागारों, फव्वारों तथा गुसलखानों के लिए पानी लाया जाता था।

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ये बड़े खुले रंगमंडल (एम्फिीथियेटर) और जलवाही सेतु इतने दिनों तक कैसे बचे रहे?

उत्तर- रंगमंडल (एम्फिीथियेटर) और जलवाही सेतु बनाने में उत्तम इंजीनियरिंग तथा वस्तुओं का प्रयोग किया गया था जो हर मौसमी परिवर्तन को सहन करने में पूर्ण रूप से सक्षम थी जिस कारण से इनका अस्तित्व आज तक कायम है।

कल्पना करो

तुम बेरिगाज़ा में रहते हो और पत्तन देखने निकले हो। तुमको क्या-क्या देखने को मिला?

उत्तर- बेरिगाज़ा की संकरी खाड़ी में समुद्र से आने वाली नावों को चलाना नाविकों के लिए बहुत मुश्किल होता था। यहाँ कुशल और स्थानीय मछुआरे ही नाव तथा जहाजों को पत्तन तक ला पाते थे। यहाँ पर शराब, ताँबा, टिन, सीसा, मूंगा, पुखराज, कपड़े, सोने और चाँदी के सिक्कों का आयात हो रहा था, जबकि हिमालय की जड़ी-बूटियाँ, हाथी दाँत, गोमेद, कार्नीलियन, सूती कपड़ा, रेशम तथा इत्र जैसी वस्तुओं का यहाँ से निर्यात किया जा रहा था।

प्रश्न-अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1. खाली जगहों को भरो :

(क) तमिल के बड़े भूस्वामी को ……………………….. कहते थे।

(ख) ग्राम-भोजकों की जमीन पर प्रायः ……………………….. द्वारा खेती की जाती थी।

(ग) तमिल में हलवाहे को ……………………….. कहते थे।

(घ) अधिकांश गृहपति ……………………….. भूस्वामी होते थे।

उत्तर-

(क) वेल्लला

(ख) दास और मजदूरों

(ग) उणवार

(घ) स्वतंत्र व छोटे।

2. ग्राम-भोजकों के काम बताओ। वे शक्तिशाली क्यों थे?

उत्तर-‘ग्राम-भोजक’ के पद पर आमतौर पर गाँव का सबसे बड़ा भू-स्वामी होता था। साधारणतया इनकी जमीन पर इनके दास और मजदूर काम करते थे। इसके अतिरिक्त प्रभावशाली होने के कारण प्रायः राजा भी कर वसूलने का काम इन्हें ही सौंप देते थे। ये न्यायाधीश का और कभी-कभी पुलिस का काम भी करते थे।

3. गाँवों तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाओ।

उत्तर- बढ़ई, बुनकर, कुम्हार, सुनार, मूर्तिकार जैसे शिल्पकार गाँव व शहर दोनों जगह रहते थे।

4. सही जवाब ढूंढो :

(क) वलयकूप का उपयोग

  1. नहाने के लिए
  2. कपड़े धोने के लिए।
  3. सिंचाई के लिए
  4. जल निकास के लिए किया जाता था।

(ख) आहत सिक्के

  1. चाँदी
  2. सोना
  3. टिन
  4. हाथी दाँत के बने होते थे।

(ग) मथुरा महत्त्वपूर्ण

  1. गाँव
  2. पत्तन
  3. धार्मिक केंद्र
  4. जंगल क्षेत्र था।

(घ) श्रेणी

  1. शासकों
  2. शिल्पकारों
  3. कृषकों
  4. पशुपालकों का संघ होता था।

उत्तर-  (क) 4. जल निकास के लिए किया जाता था।

(ख) 1. चाँदी

(ग) 3. धार्मिक केंद्र

(घ) 2. शिल्पकारों

आओ चर्चा करें

5. पृष्ठ 87 पर दिखाए गए लोहे के औजारों में कौन खेती के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे? अन्य औज़ार किस काम में आते होंगे?

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उत्तर- खेती के लिए महत्त्वपूर्ण औजार कुल्हाड़ी तथा हँसिया थे। किसी वस्तु को बिना छुए हुए पकड़ने के लिए सँड़सी का प्रयोग किया होगा।

6. अपने शहर की जल निकास व्यवस्था की तुलना तुम उन शहरों की व्यवस्था से करो, जिनके बारे में तुमने पढ़ा है। इनमें तुम्हें क्या-क्या समानताएँ और अंतर दिखाई दिए?

उत्तर-हमारे शहर में जल निकास व्यवस्था को योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। इसी तरह की जल निकास व्यवस्था को हमारे पढ़े गए शहरों में अपनाया गया था। ये दोनों व्यवस्थाएँ अनेक प्रकार से समान थी, लेकिन इन दोनों व्यवस्थाओं में केवल । एक ही अंतर था कि हमारी व्यवस्था आधुनिक है, जबकि वह व्यवस्था प्राचीन । थी। प्राचीन जल निकास व्यवस्था में कीचड़, ईंट और फैंस का प्रयोग किया जाता था जो लंबे समय तक काम नहीं कर सकती थी, लेकिन आज की व्यवस्था मजबूत चीजों से तैयार की गयी है तथा लंबे समय तक उपयोग में लाई जा सकती है।

आओ करके देखें

7. अगर तुमने किसी शिल्पकार को काम करते हुए देखा है तो कुछ वाक्यों में उसका वर्णन करो। ( संकेत : उन्हें कच्चा माल कहाँ से मिलता है, किस तरह के औजारों का प्रयोग करते हैं, तैयार माल का क्या होता है, आदि)

उत्तर- मैंने बढ़ई शिल्पकार को काम करते देखा है। वह लकड़ी के रूप में कच्चा टिंबर मार्किट से खरीदता है। टिंबर मार्किट में लकड़ी वनों से काटकर लायी जाती है। वह कई प्रकार के औजार; जैसे-लकड़ी घिसने वाला रंदा, लकड़ी काटने वाली आरी, छेद करने वाला, हथौड़ी का प्रयोग करता है। तैयार माल के रूप में मेज, कुर्सी, पलंग, दीवान इत्यादि होते हैं।

8. अपने शहर या गाँव के लोगों के कार्यों की एक सूची बनाओ। मथुरा में किए जाने वाले कार्यों से ये कितने समान और कितने भिन्न हैं?

उत्तर- मैं शहरों के परिवारों में स्त्री और पुरुष दोनों को काम करते हुए देखता हूँ। स्त्रियाँ और पुरुष दोनों दफ्तरों और अन्य स्थानों पर काम करते हैं। मथुरा यातायात और व्यापार के दो मुख्य रास्तों पर स्थित था तथा वह एक धार्मिक केंद्र भी था। मथुरा बेहतरीन मूर्तियाँ बनाने का भी केंद्र था।

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