NCERT Solutions Class 6 हमारे अतीत Chapter-7 (नए प्रश्न नए विचार)

NCERT Solutions Class 6 हमारे अतीत Chapter-7 (नए प्रश्न नए विचार)

NCERT Solutions Class 6  हमारे अतीत 6 वीं कक्षा से Chapter-7 (नए प्रश्न नए विचार) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी हमारे अतीत के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 6 हमारे अतीत Chapter-7 (नए प्रश्न नए विचार)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 6 हमारे अतीत

पाठ-7 (नए प्रश्न नए विचार)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-7 (नए प्रश्न नए विचार)

1. वेदों की रचना के लिए किस भाषा का प्रयोग हुआ था? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-66)

उत्तर- संस्कृत

2. बुद्ध दुःखी माँ को क्या शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-67)

उत्तर-बुद्ध दुःखी माँ को समझाना चाहते थे कि मृत्यु एक अटल सत्य है। एक-न-एक दिन मृत्यु सबको आनी है। इस सत्य को स्वीकार करना होगा।

3. भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को किस तरह मनाया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-68)

उत्तर- भिखारी ने ऋषियों को सार्वभौम आत्मा का सही रूप में ज्ञान देकर भोजन पाने के लिए मनाया।

4. महावीर के लिए ‘जिन’ शब्द का प्रयोग क्यों हुआ? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-70)

उत्तर- जिन शब्द का अर्थ है ‘विजेता’। महावीर एक विजेता ही थे जिन्होंने लोगों को अपने विचारों तथा शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित किया और विजय प्राप्त की।

5. संघ के जीवन से आश्रमों की यह व्यवस्था किस तरह भिन्न थी? यहाँ किन वर्गों का उल्लेख हुआ है? क्या सभी चार वर्गों को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति थी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-72)

उत्तर-

संघ का जीवन

  1. संघ का जीवन बहुत ही सरल था।
  2. संघ के लोग घर का त्याग कर सच्चे ज्ञान की तलाश में जाते थे।
  3. संघ के लोग अपना ज्यादातर समय ध्यान तथा योग करके बिताते थे।
  4. इस संघ में ब्राह्मण, क्षत्रिय, व्यापारी तथा शूद्र शामिल थे।

आश्रमों का जीवन

  1. आश्रमों का जीवन जटिल था इसमें रहकर मनुष्य पारंपरिक नियमों का पालन करते थे।
  2. इसमें लोग गृहस्थ आश्रम के नियमों का पालन करते थे।
  3. इसमें व्यक्ति अन्य सांसारिक क्रियाकलापों में समय बिताते थे।
  4. इसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य वर्गों को आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति नहीं थी।

अन्यत्र (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-73)

एटलस में ईरान हूँढो। जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे। उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है। जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है : ‘सद्-विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।’ ‘हे ईश्वर! बल, सत्य-प्रधानता एवं सद्विचार प्रदान कीजिए, जिनके जरिए हम शांति बना सकें।’ एक हजार से अधिक वर्षों तक जरथुस्त्रवाद ईरान का एक प्रमुख धर्म रहा। बाद में कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज हैं।

1. जरथुस्त्र की शिक्षाओं का संकलन किस ग्रंथ में मिलता है?

उत्तर-जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है।

2. जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ की भाषा और रीति-रिवाज किस से मिलते-जुलते हैं?

उत्तर- जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफी मिलते-जुलते हैं। |

3. जरथुस्त्र की मूल शिक्षा सूत्र क्या है?

उत्तर- जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है; सद् विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।

4. कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर भारत में कहाँ बस गए थे?

उत्तर-कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज | के पारसियों के पूर्वज हैं।

कल्पना करो

तुम लगभग 2500 वर्ष पूर्व के एक उपदेशक को सुनने जाना चाहती हो। वहाँ जाने की अनुमति लेने के लिए तुम अपने माता-पिता को कैसे सहमत करोगी, इसका वर्णन करो।

उत्तर- मैं अपने माता-पिता को उपदेशक की शिक्षाओं के विषय में जानकारी देंगी। उनके द्वारा समाज की भलाईतथा स्त्रियों की भलाई के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देंगी। उनसे जुड़े लोगों के जीवन में आए बदलावों के विषय में जानकारी देंगी और उनसे अपने लिए उपदेश सुनने की अनुमति माँगूगी।

प्रश्न-अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से

आओ याद करें

1. बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए किन-किन बातों पर जोर दिया?

उत्तर-निम्नलिखित बातों पर जोर दिया

  1. यह जीवन कष्टों और दु:खों से भरा हुआ है और कष्टों का कारण हमारी इच्छा व लालसा है।
  2. आत्म संयम अपनाकर हम अपनी इच्छा व लालसा से मुक्ति पा सकते हैं।
  3. लोगों को दयालु होने के साथ-साथ जानवरों के जीवन का भी आदर करने की शिक्षा दी।
  4. हमारे अच्छे कर्मों का परिणाम वर्तमान जीवन के साथ-साथ बाद के जीवन को भी प्रभावित करता है।

2. ‘सही’ व ‘गलत’ वाक्य बताओ।

(क) बुद्ध ने पशुबलि को बढ़ावा दिया।

(ख) बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में देने के कारण इस जगह का बहुत महत्त्व है।

(ग) बुद्ध ने शिक्षा दी कि कर्म का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(घ) बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त किया।

(ङ) उपनिषदों के विचारकों का मानना था कि आत्मा और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं।

उत्तर-

(क) गलत,

(ख) सही,

(ग) गलत,

(घ) सही,

(ङ) सही।

3. उपनिषदों के विचारक किन प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे?

उत्तर- उपनिषदों के विचारक मुख्यत: कुछ कठिन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास कर रहे थे; जैसे|

  1. कुछ विचारक मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जानना चाहते थे।
  2. कुछ विचारक यज्ञों की उपयोगिता के बारे में जानना चाहते थे।
  3. कुछ विचारक आत्मा के विषय में जानने चाहते थे।

4. महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?

उत्तर- महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ

  1. सत्य जानने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक स्त्री-पुरुष को अपना घर छोड़ देना चाहिए।
  2. अहिंसा के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
  3. ऊँच-नीच, जातिपाँति का भेदभाव नहीं करना चाहिए। आओ चर्चा करें।

5. अनघा की माँ क्यों चाहती थी कि उनकी बेटी बुद्ध की कहानी से परिचित हो? तुम्हारा इसके बारे में क्या कहना है?

उत्तर- अनघा की माँ चाहती थी कि उसकी बेटी बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं से भलीभाँति परिचित हो। इसलिए वह अपनी बेटी को बुद्ध की कहानी से परिचित कराना चाहती थी।

6. क्या तुम सोचते हो कि दासों के लिए संघ में प्रवेश करना आसान रहा होगा, तर्क सहित उत्तर दो।

उत्तर- महावीर व बुद्ध के संघ में दासों का प्रवेश करना सरल नहीं रहा होगा, क्योंकि बुद्ध ने संघ में रहने के लिए जो नियम बनाए थे उनके अनुसार दासों को संघ में प्रवेश से पहले अपने स्वामी से अनुमति लेना आवश्यक था।

आओ करके देखें

7. इस अध्याय में उल्लिखित कम से कम पाँच विचारों तथा प्रश्नों की सूची बनाओ। उनमें से किन्हीं तीन का चुनाव कर चर्चा करो कि वे आज भी क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?

उत्तर- : विचार

  1. आत्मसंयम
  2. दयालुता
  3. अहिंसा
  4. अच्छे कर्म
  5. मृत्यु जीवन का अटल सत्य है।

प्रश्न –

  1. जीवन कष्टों व दु:खों से भरा हुआ क्यों है?
  2. क्या मृत्यु के बाद जीवन है?
  3. यज्ञों की क्या उपयोगिता है? २
  4. विश्व में ऐसा क्या है? जो कि स्थायी है और मृत्यु के बाद भी बचता है।
  5. आत्मा और ब्रह्म में क्या संबंध है?
आज की उपयोगिता के कारण

(i) आत्मसंयम- आज मनुष्य की इच्छाएँ और लालसाएँ बढ़ती ही जा रही हैं जो उसके बढ़ते दु:खों का

कारण है अतः आज भी मनुष्य आत्मसंयम अपनाकर दुःखों से छुटकारा पा सकता है।

(ii) अहिंसा- आज चारों तरफ अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा | है, लेकिन समस्याओं का हल हिंसा से नहीं, बल्कि बातचीत और अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही निकाला जा सकता है।

(iii) अच्छे कर्म- आज व्यक्ति जल्दी-से-जल्दी से अमीर बनने के चक्कर में बुरे कर्म करने लगा हुआ है, जिस कारण चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अच्छे कर्म करके भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

8. आज दुनिया का त्याग करने वाले स्त्रियों और पुरुषों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करो। ये लोग कहाँ रहते हैं, किस तरीके के कपड़े पहनते हैं तथा क्या खाते हैं? ये दुनिया का त्याग क्यों करते हैं?

उत्तर-

ये निम्नलिखित हैं

  1. आज भी अनेक लोग अपने घरों और परिवारों को त्यागकर साधु, महात्मा, मुनि तथा विचारक बन जाते हैं।
  2. ये लोग मंदिरों, आश्रमों, संघों तथा एकांत स्थानों पर रहते हैं।
  3. ये प्रायः पीले, भगवा, सफेद कपड़े पहनते हैं या निर्वस्त्र रहते हैं।
  4. ये शाकाहारी भोजन करते हैं।
  5. ये ज्ञान की प्राप्ति के घर-परिवार का त्याग करते हैं।

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