NCERT Solutions Class 8 विज्ञान Chapter- 10 (किशोरावस्था की ओर)

NCERT Solutions Class 8 विज्ञान Chapter- 10 (किशोरावस्था की ओर)

Solutions Class 8 विज्ञान Chapter- 10 (किशोरावस्था की ओर)NCERT Solutions Class 8  विज्ञान 8 वीं कक्षा से Chapter-10 (किशोरावस्था की ओर) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी विज्ञान के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 8 विज्ञान

पाठ-10 (किशोरावस्था की ओर)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर 

पाठ-10 (किशोरावस्था की ओर)

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 113


प्रश्न 1.

मानव किसी निश्चित आयु के बाद ही क्यों जनन कर सकते हैं?

उत्तर :

मानव में एक निश्चित आयु के बाद ही जनन अंग परिपक्व होते हैं। इसलिए वे एक निश्चित आयु के बाद ही जनन कर सकते हैं। मनुष्य का वह जीवन काल जबकि शरीर में परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था कहलाती है। यह अवस्था 11 वर्ष की आयु से 19 वर्ष की आयु तक रहती है।


किशोरावस्था एवं यौवनारम्भ


प्रश्न 1.

शरीर में होने वाले इस परिवर्तन की अवधि कब तक रहती है?

उत्तर :

शरीर में होने वाले इस परिवर्तन की अवधि लगभग 11 वर्ष की आयु से 18 – 19 वर्ष की आयु तक रहती है।


प्रश्न 2.

जीवन का यह ऐसा अजीव काल है कि इसमें आप न तो बच्चे रहते हैं और न ही बड़े। मैं जिज्ञासु हूँ कि क्या बाल्यकाल एवं युवावस्था के मध्य की इस अवधि का कोई विशेष नाम है?

उत्तर :

बाल्यकाल एवं युवावस्था के मध्य की इस अवधि को किशोरावस्था कहते हैं। किशोरावस्था अंग्रेजी में teens (thirteen से eighteen/nineteen वर्ष की आयु) तक होती है, किशोरों को टीनेजर्स भी कहते हैं।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 114


प्रश्न 1.

पहेली और बूझो को एहसास होता है कि लम्बाई में एकाएक वृद्धि एवं लड़कों में हलकी दाढ़ी-मूंछों का आना किशोरावस्था के लक्षण हैं। वे यौवनारम्भ में होने वाले अन्य परिवर्तनों के विषय में जानना चाहते हैं।

उत्तर :

यौवनारम्भ में होने वाले अन्य परिवर्तन निम्न हैं –

1. लड़कों में:

आवाज में परिवर्तन आ जाता है। आवाज फटने/भर्राने लगती है। चेहरे पर बाल उगने लगते हैं अर्थात् दाढ़ी-मूंछ आने लगती है। वृषण एवं शिश्न पूर्णतः विकसित हो जाते हैं। वृषण से शुक्राणुओं का उत्पादन भी प्रारम्भ हो जाता है। कन्धे व सीना पहले की अपेक्षाकृत चौड़े हो जाते हैं। वे स्वतन्त्र और अपने प्रति अधिक सचेत हो जाते हैं।


2. लड़कियों में:

कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है। लड़कियों का स्वर उच्च तारत्व वाला होता है। स्तनों का विकास होने लगता है एवं अण्डाशय के साइज में वृद्धि हो जाती है तथा अण्ड परिपक्व होने लगते हैं। अण्डाशय से अण्डाणुओं का निर्मोचन प्रारम्भ हो जाता है।


क्रियाकलाप 10.2


प्रश्न 1.

क्रियाकलाप 10.1 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग करके एक ग्राफ बनाइए। आयु को ‘X-अक्ष’ पर तथा लम्बाई में वृद्धि का प्रतिशत ‘Y-अक्ष’ पर लीजिए। अपनी आयु को ग्राफ पर विशिष्ट रूप से चिह्नित कीजिए। आप जिस लम्बाई के प्रतिशत को प्राप्त कर चुके हैं, उसका पता लगाइए। आप अन्ततः जिस लम्बाई को प्राप्त कर सकेंगे, उसका परिकलन कीजिए। आप अपने ग्राफ की तुलना निम्न ग्राफ से कीजिए।

उत्तर :

Solutions Class 8 विज्ञान Chapter- 10 (किशोरावस्था की ओर)

चित्र मेरी वर्तमान आयु = 13 वर्ष; लम्बाई = 120 सेमी

13 वर्ष की आयु पर पूर्ण लम्बाई का प्रतिशत = 88% (चार्ट में दिए गए मान के अनुसार)

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 115


प्रश्न 1.

मैं चिन्तित हूँ। यद्यपि मैं लम्बी हो गई हूँ, परन्तु शरीर की तुलना में मेरा चेहरा छोटा है।

उत्तर :

पहेली को चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है। शरीर के सभी अंग समान दर से वृद्धि नहीं करते।


शारीरिक आकृति में परिवर्तन


प्रश्न 1.

क्या आपने ध्यान दिया है कि आपकी कक्षा के छात्रों के कन्धे एवं सीना निचली कक्षा के छात्रों की अपेक्षा अधिक चौड़े होते हैं?

उत्तर :

हाँ, हमारी कक्षा के छात्रों के कंधे एवं सीना निचली कक्षा के छात्रों की अपेक्षा अधिक चौड़े होते हैं। इसका कारण यह है कि वे यौवनारम्भ में प्रवेश कर चुके होते हैं और वृद्धि के कारण उनके कंधे और सीना निचली कक्षा के छात्रों की अपेक्षा चौड़े हो जाते हैं।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 116

स्वर में परिवर्तन


प्रश्न 1.

मेरे अनेक सहपाठियों की फटी आवाज है। अब में जान गया हूँ, ऐसा क्यों है?

उत्तर :

इसका कारण है कि किशोर लड़कों में कभी-कभी स्वरयन्त्र की पेशियों में अनियन्त्रित वृद्धि हो जाती है। अतः उनकी आवाज फटी होती है।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 117

गौण लैंगिक लक्षण


प्रश्न 1.

बूझो और पहेली दोनों ही जानना चाहते हैं कि यौवनारम्भ में होने वाले इन परिवर्तनों का प्रारम्भ कौन करता है?

उत्तर :

यौवनारम्भ में होने वाले इन परिवर्तनों का प्रारम्भ हॉर्मोन करते हैं।


प्रश्न 2.

परन्तु वे जानना चाहते हैं कि क्या जनन काल एक बार प्रारम्भ होने के बाद जीवन-पर्यन्त तक चलता है या कभी समाप्त होता है?

उत्तर :

नहीं, जनन काल एक बार प्रारम्भ होने के बाद यह जीवन-पर्यन्त नहीं चलता है। सामान्यतः यह 45 वर्ष से 50 वर्ष की आयु तक चलता रहता है।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 118

मानव में जनन काल की अवधि


प्रश्न 1.

पहेली कहती है कि स्त्रियों में जनन काल की अवधि रजोदर्शन से रजोनिवृत्ति तक होती है। क्या वह सही है?

उत्तर :

हाँ, वह बिल्कुल सही है।


संतति का लिंग निर्धारण किस प्रकार होता है?


प्रश्न 1.

मुझे यह जानने की उत्सुकता है कि इस बात का निर्धारण कैसे होता है कि निषेचित अण्डाणु लड़के में अथवा लड़की में विकसित होगा?

उत्तर :

मनुष्य के केन्द्रक में 23 जोड़े गुणसूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 2 गुणसूत्र (एक जोड़ी) लिंग-सूत्र होते हैं। स्त्री में दो X गुणसूत्र होते हैं और पुरुष में एक X और एक Y गुणसूत्र होते हैं। युग्मक (अण्डाणु और शुक्राणु) में गुणसूत्रों का एक जोड़ा होता है जो लिंग का निर्धारण करता है।

अनिषेचित अण्डाणु में सदैव एक X गुणसूत्र होता है। परन्तु शुक्राणु दो प्रकार के होते हैं जिनमें एक प्रकार में X गुणसूत्र एवं दूसरे प्रकार में Y गुणसूत्र होता है। जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु में निषेचित करता है तो युग्मनज में दो X गुणसूत्र होंगे तथा वह मादा शिशु (लड़की) में विकसित होगा। यदि अण्डाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में Y गुणसूत्र है तो युग्मनज नर शिशु (लड़का) में विकसित होगा।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 120-121


प्रश्न – क्या अन्य जन्तुओं में भी हॉर्मोन स्रावित होते हैं? क्या जनन प्रक्रिया में उनका कोई योगदान है?

उत्तर :

हाँ, अन्य जन्तुओं में भी हॉर्मोन स्रावित होते हैं और जनन प्रक्रिया में उनका योगदान होता है।

कीट एवं मेंढक में जीवन-चक्र पूर्ण करने में हॉर्मोन का योगदान।


प्रश्न – यदि व्यक्ति के आहार में पर्याप्त आयोडीन न हो तो क्या उन्हें थायरॉक्सिन की कमी के कारण ‘गॉयटर’ हो जाएगा?

उत्तर :

हाँ, यदि व्यक्ति के आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं होगा, तो उन्हें गॉयटर हो जाएगा।


क्रियाकलाप 10.3


प्रश्न 1.

किसी पत्रिका अथवा डॉक्टर से सूचना एकत्र कर आयोडीन युक्त नमक के उपयोग पर एक नोट तैयार कीजिए। आप इसकी जानकारी इण्टरनेट पर भी देख सकते हैं।

उत्तर :

आहार में आयोडीन की मात्रा मनुष्य को गॉयटर से बचाती है। यह थायरॉइड ग्रन्थि का रोग है। जब थायरॉइड ग्रन्थि थायरॉक्सिन हार्मोन का निर्माण नहीं करती तब यह रोग हो जाता है। थायरॉक्सिन निर्माण के लिए आहार अथवा जल में आयोडीन की उपस्थिति आवश्यक है। आहार में आयोडीन की कमी से गॉयटर रोग हो जाता है।


प्रश्न 2.

सन्तुलित आहार क्या है?

उत्तर :

सन्तुलित आहार का अर्थ है भोजन में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन एवं खनिज लवणों का पर्याप्त मात्रा में

होना।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 121


प्रश्न – अपने दोपहर एवं रात्रि के भोजन के खाद्य पदार्थों की जाँच कीजिए। क्या भोजन सन्तुलित एवं पोषक है? क्या इसमें ऐसे खाद्यान्न हैं जो ऊर्जा प्रदान करते हैं तथा क्या इनमें दूध, माँस, नट एवं दालें भी शामिल हैं जो वृद्धि हेतु प्रोटीन प्रदान करते हैं? क्या इसमें वसा एवं शक्कर भी शामिल हैं, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं? फल एवं सब्जियों का क्या स्थान है जो रक्षी भोजन हैं?

उत्तर :

मैं अपने दोपहर एवं रात्रि के भोजन में रोटी, दाल, चावल, तरकारी आदि लेता हूँ। दोपहर एवं रात्रि के भोजन के बाद में सेब, केला, अंगर आदि मौसमी फल लेता हूँ। सोने से पूर्व में एक गिलास दूध लेता हूँ। हाँ, मैं सोचता हूँ मेरा भोजन सन्तुलित एवं पोषक है। हाँ, इसमें ऐसे भी खाद्यान्न हैं जो ऊर्जा प्रदान करते हैं। मेरे भोजन में दूध, नट एवं दालें शामिल हैं जो वृद्धि हेतु प्रोटीन प्रदान करते हैं। हाँ, इसमें वसा एवं शक्कर भी शामिल है, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं।


क्रियाकलाप 10.4


प्रश्न – अपने मित्रों के साथ एक समूह बनाइए। उन खाद्य पदार्थों के नाम लिखिए जो आपने पिछले दिन (कल) नाश्ते, दोपहर के भोजन एवं रात्रिकालीन भोजन में खाए थे। उन खाद्य पदार्थों की पहचान कीजिए जो समुचित वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं। ‘जंक फूड’ की भी पहचान कीजिए जो आपने पिछले दिन खाया था?

उत्तर :

मेरे तीन मित्र हैं, गुरुचरन सिंह, पंजाबी सिख, एस. एच. बेकन, ईसाई, तथा कुन्जु नटराजन, दक्षिण भारतीय यह मेरा एक समूह है जिसमें मैं स्वयं भी हूँ। नाश्ते, दोपहर के भोजन एवं रात्रिकालीन भोजन में खाद्य पदार्थों का विवरण निम्न प्रकार है –

(1) मेरा स्वयं का:

  1. नाश्ता: ब्रेड, 1 चपाती, तरकारी और एक गिलास दूध।
  2. दोपहर का भोजन: चपाती, चावल, दाल, तरकारी, दही, सेब।
  3. रात्रि का भोजन: चपाती, दाल, तरकारी, खीर, एक फल एवं एक गिलास दूध। किसी सीमा तक मेरा भोजन सन्तुलित भोजन है,जो मेरी समुचित वृद्धि के लिए काफी है।

(2) गुरुचरन सिंह:

  1. नाश्ता: पूड़ी, सब्जी एवं चाय अथवा छोले-भटूरे एवं चाय।
  2. दोपहर का भोजन: चपाती, दाल, माँस/मछली आदि और दही।
  3. रात्रि का भोजन: चपाती, मछली/अण्डा, कढ़ी एवं दही।
  4. उपर्युक्त भोजन एक सीमा तक सन्तुलित आहार है। इससे समुचित वृद्धि सम्भव है।

(3) एस. एच. ब्रेकन:

  1. नाश्ता: ब्रेड, मक्खन एवं चाय। दोपहर का भोजन-चावल, माँस एवं तली हुई तरकारी।
  2. रात्रि का भोजन: चपाती, दाल, चावल, सब्जी एवं दही।
  3. यह भी किसी सीमा तक सन्तुलित आहार है। अतः समुचित वृद्धि के लिए ठीक है।

(4) कुन्जु नटराजन:

  1. नाश्ता: सांभर, बड़ा/इडली एवं चाय।
  2. दोपहर का भोजन: चावल, सांभर, चटनी एवं दही।
  3. रात्रि का भोजन: चावल, सांभर, चटनी, दही एवं चपाती।
  4. यह भोजन एक सन्तुलित आहार नहीं है। इस भोजन से समुचित वृद्धि सम्भव नहीं है।


पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 122

क्रियाकलाप 10.6

प्रश्न – अपनी कक्षा में उन सहपाठियों के आँकड़े एकत्र कीजिए जो नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तथा उनके आँकड़े भी एकत्रित कीजिए जो व्यायाम नहीं करते। क्या आपको उनकी चुस्ती एवं स्वास्थ्य में कोई अन्तर दिखाई देता है? नियमित व्यायाम के लाभ पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

उत्तर :

विभिन्न प्रकार के व्यायाम करने से हमारा शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है, अंगों में फुर्ती आती है तथा मस्तिष्क की कार्य शक्ति बढ़ जाती है। शरीर रक्त परिभ्रमण की क्रिया सुचारु रूप से होती है। व्यायाम मनुष्य के लिए वरदान है।

हाँ, हमको व्यायाम करने वाले छात्रों और व्यायाम न करने वाले छात्रों में अन्तर दिखाई देता है। व्यायाम न करने वाले छात्र तन्दुरुस्त नहीं हैं, आलसी हैं तथा अधिकतर बीमार रहते हैं। उनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता।


नियमित व्यायाम करने से लाभ:

  1. नियमित व्यायाम करने से शरीर सुन्दर एवं सुडौल बनता है।
  2. माँसपेशियाँ क्रियाशील रहती हैं।
  3. रुधिर का संचार सुचारु रूप से होता है तथा कार्यक्षमता बढ़ती है।
  4. शरीर से विषैले पदार्थ जैसे, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि पसीने के रूप में बाहर निकल जाते हैं।
  5. मस्तिष्क में रक्त संचार होने से मस्तिष्क की कार्य शक्ति बढ़ती है।
  6. हृदय एवं श्वास रोग होने की सम्भावना कम हो जाती

 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.

शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पदार्थ का क्या नाम है?

उत्तर :

शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पदार्थ का नाम हॉर्मोन है।


प्रश्न 2.

किशोरावस्था को परिभाषित कीजिए।

उत्तर :

जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था कहलाती है। किशोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होकर 18 – 19 वर्ष की आयु तक रहती है।


प्रश्न 3.

ऋतुस्राव क्या है? वर्णन कीजिए।

उत्तर :

स्त्रियों में यौवनारम्भ पर अण्डाणु परिपक्व होने लगते हैं। अण्डाणुओं में एक अण्डाणु परिपक्व होता है तथा लगभग 28 से 30 दिनों के अन्तराल पर किसी एक अण्डाशय द्वारा निर्मोचित होता है। इस अवधि में गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है जिससे वह अण्डाणु के निषेचन के पश्चात् युग्मनज को ग्रहण कर सके। यदि अण्डाणु का निषेचन नहीं होता तो अण्डाणु तथा गर्भाशय का मोटा स्तर उसकी रुधिर वाहिकाओं सहित निस्तारित हो जाता है। इससे स्त्रियों में रक्तस्राव होता है, जिसे ऋतुस्त्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं।


प्रश्न 4.

यौवनारम्भ के समय होने वाले शारीरिक परिवर्तनों की सूची बनाइए।

उत्तर :

यौवनारम्भ के समय होने वाले शारीरिक परिवर्तनों की सूची:

  1. लम्बाई में वृद्धि।
  2. शारीरिक आकृति में परिवर्तन।
  3. स्वर में परिवर्तन।
  4. स्वेद एवं तैल ग्रन्थियों की क्रियाशीलता में वृद्धि।
  5. जनन अंगों का विकास।
  6. मानसिक, बौद्धिक एवं संवेदनात्मक परिपक्वता।


प्रश्न 5.

दो कॉलम वाली एक सारणी बनाइए जिसमें अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम तथा उनके द्वारा स्रावित हॉर्मोन के नाम दर्शाए गए हों।

उत्तर :

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प्रश्न 6.

लिंग हॉर्मोन क्या है? उनका नामकरण इस प्रकार क्यों किया गया? उनके प्रकार्य बताइए।

उत्तर :

हमारे शरीर में अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ, वृषण, अण्डाशय लैंगिक हॉर्मोन स्रावित करते हैं। ये हॉर्मोन गौण लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी हैं जो लड़कों को लड़कियों से पहचानने में सहायता करते हैं। इसलिए इन्हें लिंग हॉर्मोन कहते हैं। ये पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित हॉर्मोन के नियन्त्रण में रहते हैं।


प्रकार्य:

लिंग हॉर्मोन रासायनिक पदार्थ हैं। ये अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा अथवा अन्तःस्रावी तन्त्र द्वारा स्रावित किए जाते हैं।

(1) यौवनारम्भ के साथ ही वृषण पौरुष हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन स्रावित करना प्रारम्भ कर देता है। यह लड़कों में परिवर्तन का कारक है। जैसे-चेहरे पर बालों का आना।

(2) यौवनारम्भ के साथ लड़कियों में अण्डाशय स्त्री हॉर्मोन एस्ट्रोजन स्रावित करना प्रारम्भ कर देता है, जिससे स्तन एवं दुग्ध ग्रन्थियाँ विकसित हो जाती हैं। इन हॉर्मोनों के उत्पादन का नियन्त्रण पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित हॉर्मोन द्वारा होता है।


प्रश्न 7.

सही विकल्प चुनिए –

(क) किशोर को सचेत रहना चाहिए कि वह क्या खा रहे हैं? क्योंकि –

  1. उचित भोजन से उनके मस्तिष्क का विकास होता है।
  2. शरीर में तीव्र गति से होने वाली वृद्धि के लिए उचित आहार की आवश्यकता होती है।
  3. किशोर को हर समय भूख लगती है।
  4. किशोर में स्वाद कलिकाएँ (ग्रन्थियाँ) भली भाँति विकसित होती है।

(ख) स्त्रियों में जनन आयु (काल) का प्रारम्भ उस समय होता है जब उनके –

  1. ऋतुस्राव प्रारम्भ होता है।
  2. स्तन विकसित होना प्रारम्भ करते हैं।
  3. शारीरिक भार में वृद्धि होने लगती है।
  4. शरीर की लम्बाई बढ़ती है।

(ग) निम्न में से कौन-सा आहार किशोर के लिए सर्वोचित है –

  1. चिप्स, नूडल, कोक।
  2. रोटी, दाल, सब्जियाँ।
  3. चावल, नूडल्स, बर्गर।
  4. शाकाहारी टिक्की, चिप्स तथा लेमन पेय।

उत्तर :

(क) शरीर में तीव्र गति से होने वाली वृद्धि के लिए उचित आहार की आवश्यकता होती है।

(ख) ऋतुस्राव प्रारम्भ होता है।

(ग) रोटी, दाल, सब्जियाँ।


प्रश्न 8.

निम्न पर टिप्पणी लिखिए –

  1. ऐडॅम्स ऐपॅल।
  2. गौण लैंगिक लक्षण।
  3. गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण।

उत्तर :

1. ऐडम्स ऐपॅल:

किशोरावस्था में लड़कों का स्वरयन्त्रविकसित होकर अपेक्षाकृत बड़ाहो जाता है। लड़कों में बढ़ा हुआ स्वरयन्त्र गले के सामने की ओर सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है, जिसे ऐडॅम्स ऐपॅल (कण्ठमणि) कहते हैं।

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2. गौण लैंगिक लक्षण:

युवावस्था में लड़कियों में स्तनों का विकास होने लगता है तथा लड़कों के चेहरे पर दाढ़ी-मूंछ आने लगती है। ये लक्षण लड़कियों को लड़कों से पहचानने में सहायता करते हैं, अतः इन्हें गौण लैंगिक लक्षण कहते हैं। लड़कों के सीने पर बाल आ जाते हैं। लड़के व लड़कियों दोनों में ही बगल तथा प्यूबिक क्षेत्र में भी बाल आ जाते हैं। ये सभी परिवर्तन हॉर्मोन द्वारा नियन्त्रित होते हैं और हॉर्मोन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित होते हैं।

3. गर्भस्थ शिशु में लिंग निर्धारण:

सभी मनुष्यों की कोशिकाओं के केन्द्रक में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। इनमें से 2 गुणसूत्र (1 जोड़ा) लिंग निर्धारण करता है। युग्मक (अण्डाणु तथा शुक्राणु) में गुणसूत्रों का एक जोड़ा होता है। अण्डाणु में सदा X गुणसूत्र होता है परन्तु शुक्राणु दो प्रकार के होते हैं जिसमें एक प्रकार में X गुणसूत्र एवं दूसरे प्रकार में Y गुणसूत्र होता है। जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु को निषेचित करता है तो युग्मनज में दो X गुणसूत्र होंगे तथा वह मादा शिशु में विकसित होगा। यदि अण्डाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में Y गुणसूत्र हैं तो युग्मनज नर शिशु में विकसित होता है। इस प्रकार गर्भस्थ शिशु में लिंग-निर्धारण के लिए पिता के लिंग गुणसूत्र उत्तरदायी हैं।


प्रश्न 9.

शब्द पहेली: शब्द बनाने के लिए संकेत सन्देश का प्रयोग कीजिए –

बाईं से दाईं ओर:

3. एड्रिनल ग्रन्थि से स्रावित हॉर्मोन।

4. मेंढक में लारवा से वयस्क तक होने वाला परिवर्तन।

5. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पदार्थ।

6. किशोरावस्था को कहा जाता है।


ऊपर से नीचे की ओर:

1. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का दूसरा नाम।

2. स्वर पैदा करने वाला अंग।

3. स्त्री हॉर्मोन।

उत्तर :

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प्रश्न 10.

नीचे दी गई सारणी में आयु वृद्धि के अनुपात में लड़के एवं लड़कियों की अनुमानित लम्बाई के आँकड़े दर्शाए गए हैं। लड़के व लड़कियों दोनों की लम्बाई एवं आयु को प्रदर्शित करते हुए एक ही ग्राफ कागज पर ग्राफ खींचिए। इस ग्राफ से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

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उत्तर :

ग्राफ से स्पष्ट है कि जन्म के समय दोनों की लम्बाई समान होती है। 4-8 वर्ष के अन्तराल में लड़कियों की अपेक्षा लड़कों की लम्बाई अधिक तेजी से बढ़ती है। 8-12 वर्ष के अन्तराल में लड़कियों की लम्बाई लड़कों से ज्यादा होती है। 16 वर्ष तक पहुँचते-पहुँचते दोनों की = लम्बाई समान हो जाती है। परन्तु 16-20 वर्ष की आयु में लड़कों की लम्बाई लड़कियों की लम्बाई से अधिक हो जाती है।

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