NCERT Solutions Class 9 समकालीन भारत -I Chapter-4 (जलवायु )

NCERT Solutions Class 9 समकालीन भारत -I Chapter-4 (जलवायु )

NCERT Solutions Class 9 समकालीन भारत -I  9 वीं कक्षा से Chapter-4 (जलवायु  ) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 
हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी समकालीन भारत -I के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 9 समकालीन भारत -I Chapter-4 (जलवायु )
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 9 समकालीन भारत -I 

पाठ-4 (जलवायु )

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-4 (जलवायु )

ज्ञात कीजिए

1. राजस्थान में घरों की दीवार मोटी तथा छत चपटी क्यों होती है?

उत्तर- 

राजस्थान के घरों की दीवार मोटी इसलिए होती हैं ताकि वे गर्मी को घर के अंदर आने से रोकें वहीं चपटी छत रेगिस्तानी इलाके में होने वाली हल्की बारिश को संरक्षित रखने के लिए होते हैं।


2. तराई क्षेत्र तथा गोवा एवं मैंगलोर में ढाल वाली छतें क्यों होतीं हैं?

उत्तर- 

चूँकि तराई क्षेत्र तथा गोवा एवं मैंगलोर में ज्यादा वर्षा होती है इसलिए यहाँ ढाल वाली छतें होतीं है ताकि वर्षा का पानी जल्दी इन छतों से बह जाए।


3. असम में प्रायः कुछ घर बाँस के खम्बों (Stilt) पर क्यों बने होते हैं?

उत्तर- 

बाढ़ और जंगली जानवरों के खतरे से बचने के लिए असम में प्रायः कुछ घर बाँस के खम्बों पर बने होते हैं।


ज्ञात कीजिए

1. विश्व के अधिकतर मरुस्थल उपोष्ण कटिबंधीय भागों में स्थित महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर क्यों स्थित है?

उत्तर- 

विश्व के अधिकतर मरुस्थल उपोष्ण कटिबंधीय भागों में स्थित महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर स्थित इसलिए हैं क्योंकि इस क्षेत्र में चलने वाली व्यापारिक पवन अपनी नमी को पूर्वी भाग में ही निकाल देती है। ये महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे तक पहुँचने से पहले ही सूखी हो चुकी होतीं हैं। ठंडी महासागरीय धाराएँ भी हवा को थट के ऊपर स्थिर कर देती हैं जिससे बादल निर्माण नहीं हो पाता है।

अभ्यास

पृष्ठ संख्या: 41


1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें।

(i) नीचे दिए गए स्थानों में से किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है?

(क) सिलचर

(ख) चेरापूंजी

(ग) मासिनराम

(घ) गुवाहाटी

उत्तर-  (ग) मासिनराम


(ii) ग्रीष्म ऋतू में उत्तरी मैदानों में बहने वाली पवन को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है?

(क) काल वैशाखी

(ख) व्यापारिक पवनें

(ग) लू

(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-  (ग) लू


(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शीत ऋतू में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है-

(क) चक्रवातीय अवदाब

(ख) पश्चिमी विक्षोभ

(ग) मानसून की वापसी

(घ) दक्षिण-पश्चिम मानसून

उत्तर-  (क) चक्रवातीय अवदाब


(iv) भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब होता है-

(क) मई के प्रारंभ में

(ख) जून के प्रारंभ में

(ग) जुलाई के प्रारंभ में

(घ) अगस्त के प्रारंभ में

उत्तर-  (ख) जून के प्रारंभ में


(v) निम्नलिखित में से कौन-सी भारत में शीत ऋतू की विशेषता है-

(क) गर्म दिन व गर्म रातें

(ख) गर्म दिन व ठंडी रातें

(ग) ठंडा दिन व ठंडी रातें

(घ) ठंडा दिन व गर्म रातें

उत्तर-  (ख) गर्म दिन व ठंडी रातें


2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं?

उत्तर- 

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं - अक्षांश, ऊँचाई और वायु, दाब एवं पवन, समुद्र से दूरी, महासागरीय धाराएँ तथा उच्चावच लक्षण।


(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?

उत्तर- 

भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु है क्योंकि भारत की जलवायु मानसून पवनों के प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो 20° उत्तर से लेकर 20° दक्षिण तक सीमित हैं।


(iii) भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है और क्यों?

उत्तर- 

भारतीय मरुस्थल जो भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में अवस्थित है में दैनिक तापमान अधिक होता है क्योंकि वहाँ रेत पायी जाती है जो दिन के समय सूरज की रोशनी में बहुत जल्दी गर्म हो जाती है।


(iv) किन पवनों के कारण मालबार तट पर वर्षा होती है?

उत्तर- 

दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण मालबार तट पर वर्षा होती है।


(vi) जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं?

उत्तर- 

जेट धाराएँ पश्चिमी तेज गति की पवनें हैं जो संकरी क्षेत्र में स्थित क्षोभमंडल में बहती हैं। ये लगभग 27° से 30° उत्तर अक्षांशों के स्थित होती हैं, इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है।

भारत में, ये जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतू को छोड़कर पुरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में प्रवाहित होती हैं। यह पश्चिमी प्रवाह पश्चिमी विक्षोभ के लिए जिम्मेदार हैं जो देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में अनुभव की जाती हैं।


(vii) मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- 

वायु की दिशा के मौसमी परिवर्तन को मानसून कहा जाता है। मानसून में विराम में एक परिघटना है जिसमें मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती है। इनमें वर्षा रहित अंतराल भी होते हैं। ये विराम मानसूनी गर्त की गति से संबंधित होते हैं।


(viii) मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है?

उत्तर- 

निम्नलिखित कारणों से मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला समझा जाता है -

• सम्पूर्ण भारतीय भूदृश्य, इसके वनस्पति और जीव, आदि मानसून से प्रभावित हैं।

• ये मानसूनी हवाएँ कृषि गतिविधियों के लिए पानी उपलब्ध कराकर पूरे देश को एक सूत्र में बाँधती है।

• कृषि चक्र से संबंधित त्यौहार विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं लेकिन उनके उत्सव का समय मानसून तय करता है।

• साल दर साल, उत्तर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के भारत के लोग बेसब्री से मानसून के आने का इंतजार करते हैं।

• नदी घाटीयाँ जो मानसून वर्षा का पानी ले जातीं हैं वो भी एक ही नदी घाटी इकाई के रूप में एकजुट हो जातीं हैं।


3. उत्तर-भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा क्यों घटती जाती है?

उत्तर- 

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा अत्यधिक मात्रा में नमी लिए हुए उत्तर-पूर्व की ओर जाती है और इस क्षेत्र में भारी वर्षा लाती है। जैसे-जैसे वे पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हैं, उनकी नमी घटती जाती है जिससे पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।


4. कारण बताएँ-

(i) भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन क्यों होता है?

उत्तर- 

वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन भारतीय उपमहाद्वीप में वायु दाब में अंतर के कारण होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन लाने में एलनीनो प्रमुख भूमिका निभाता है।


(ii) भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में होती है।

उत्तर- 

मानसून जून के पहले सप्ताह से शुरू होती है और काफी तीव्र प्रगति कर मध्य जुलाई तक लगभग पूरे देश तक पहुँच जाती हैं। इसलिए, भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में होती है; मुख्य रूप से अगस्त से जून के महीने में।


(iii) तमिलनाडु तट पर शीत ऋतू में वर्षा होती है।

उत्तर- 

निम्न दाब वाली अवस्था बंगाल की खाड़ी पर स्थानांतरित होने के कारण तमिलनाडु तट पर शीत ऋतू में वर्षा होती है।


(iv) पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते हैं।

उत्तर- 

बंगाल की खाड़ी विभिन्न दाब परिवर्तन का केंद्र है इसलिए वहाँ हमेशा चक्रवात के विकास का एक मौका है। इस कारण, पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते हैं।


(v) राजस्थान, गुजरात के कुछ भाग तथा पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया सूखा प्रभावित क्षेत्र है।

उत्तर- 

कुछ भाग अरावली की बारिश छाया क्षेत्र में आते है इसलिए, वे सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं क्योंकि वहाँ बारिश बहुत कम होती है।


5. भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को उदाहरण सहित समझाएँ।

उत्तर- 

भारत की जलवायु परिस्थितियों में क्षेत्रीय भिन्नता है। तापमान और वर्षन एक स्थान से दूसरे स्थान पर तथा एक मौसम से दूसरे मौसम में भिन्न हैं।

• गर्मियों में, राजस्थान के मरुस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 50° सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जबकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तापमान लगभग 20° सेल्सियस रहता है।

• सर्दी की रात में, जम्मू-कश्मीर में द्रास का तापमान -45° सेल्सियस तक हो सकता है, जबकि थिरुवनंथपुरम् में यह 22° सेल्सियस हो सकता है।

• केरल या अंडमान एवं निकोबार में दिन तथा रात का तापमान लगभग समान ही रहता है।

• सामान्य रूप से तटीय क्षेत्रों के तापमान में अंतर कम होता है तथा देश के आंतरिक भागों में मौसमी या ऋतूनिष्ठ अंतर अधिक होता है।

• उत्तरी मैदान में वर्षा की मात्रा सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है।

• देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर एवं नवंबर में होती है।


6. मानसून अभिक्रिया की व्याख्या करें।

उत्तर- 

निम्नलिखित कारक मानसून की अभिक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं:

• स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभ्रेदी प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उतपन्न होता है, जबकि इसके आसपास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है।

• अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः विषुवत् वृत्त से 5° उत्तर में स्थिति होता है। ग्रीष्म ऋतू के दिनों में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है। इसे मानसून ऋतू में में मानसून गर्त के नाम से भी जाना जाता है।

• हिन्द महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 20° दक्षिण अक्षांश के ऊपर उच्च दाब वाल क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय मानसून को प्रभावित करती है।

• ग्रीष्म ऋतू में, तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है, जिसके परिमाणस्वरूप पठार के ऊपर समुद्र तल से लगभग 9 किलोमीटर की ऊँचाई पर तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं एवं उच्च दाब का निर्माण होता है।

• ग्रीष्म ऋतू में हिमालय के उत्तर-पश्चिमी जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।

• दाब की अवस्था में नियतकालिक परिवर्तन को दक्षिणी दोलन के नाम से जाना जाता है।

• डार्विन, उत्तरी आस्ट्रेलिया (हिन्द महासागर 12°30' दक्षिण/131° पूर्व) तथा ताहिती (प्रशांत महासागर 18° दक्षिण/149° पश्चिम) के दाब के अंतर की गणना मानसून की तीव्रता के पूर्वानुमान के लिए की जाती है। अगर दाब का अंतर ऋणात्मक है तो इसका अर्थ होगा औसत से कम तथा विलंब से आने वाला मानसून।


7. शीत ऋतू की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।

उत्तर- 

शीत ऋतू की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

• उत्तरी भारत में शीत ऋतू मध्य नवंबर से आरम्भ होकर फरवरी तक रहती है।

• भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर एवं जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं।

• तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है। पूर्वी तठ पर चेन्नई का औसत तापमान 24° सेल्सियस से 25° सेल्सियस के बीच होता है, जबकि उत्तरी मैदान में यह 10° सेल्सियस से 15° सेल्सियस के बीच होता है।

• दिन गर्म तथा रातें ठंडी होती हैं।

• उत्तर में तुषरापात सामान्य है तथा हिमालय के ऊपरी ढालों पर हिमपात होता है।

• देश में उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। चूँकि, ये पवनें स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं तथा इसलिए देश के अधिकतर भाग में शुष्क मौसम होता है।

• सामन्यतः इस मौसम में आसमान साफ, तापमान तथा आद्रता कम एवं पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती हैं।

• शीत ऋतू में उत्तरी मैदानों में पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का अंतर्वाह विशेष लक्षण है।

• कम दाब वाली प्रणाली भूमध्यसागर एवं पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिमी पवनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। इसके कारण शीतकाल में मैदान में वर्षा होती है तथा पर्वतों पर हिमपात होता है।

• यद्यपि शीतकाल में वर्षा कम होती है, लेकिन ये रबी फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय तौर पर इस वर्षा को 'महावट' कहा जाता है।

• प्रायद्वीपीय भागों में समुद्री प्रभावों के कारण शीत ऋतू स्पष्ट नहीं होती।


8. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।

उत्तर- 

मानसून की विशेषताएँ -

• मानसून का समय जून के आरंभ से लेकर मध्य सितंबर तक, 100 से 120 दिनों के बीच होता है।

• इसके आगमन के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा लगातार कई दिनों तक यह जारी रहती है। इसे मानसून प्रस्फोट (फूटना) कहते हैं।

• सामान्यतः जून के प्रथम सप्ताह में मानसून भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से प्रवेश करता है जो बाद में दो भागों में बँट जाता है - अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा।

• देश भर में वर्षा का असमान वितरण होता है।


मानसूनी वर्षा के प्रभाव -

• भारत में कृषि काफी हद तक पानी के लिए भारतीय मानसून पर निर्भर रहता है। देर से, कम या अत्यधिक बारिश फसलों पर एक नकारात्मक प्रभाव डालता है।

• देश भर में वर्षा के असमान वितरण के कारण कुछ स्थान सूखा प्रभावित रहते हैं तो कुछ बाढ़ प्रभावित।

• मानसून भारत को एक विविध जलवायु स्वरूप प्रदान करता है जिस कारण महान क्षेत्रीय रूपों की उपस्थिति के बावजूद, यह देश और लोगों के लिए यह एकता का परिचारक है।

मानचित्र कौशल

भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाएँ -

(i) 400 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र

(ii) 20 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र

(iii) भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा

उत्तर- 

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