NCERT Solutions Class 9 भारत और समकालीन विश्व - I Chapter-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय)

NCERT Solutions Class 9 भारत और समकालीन विश्व - I Chapter-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय)

NCERT Solutions Class 9 भारत और समकालीन विश्व - I  9 वीं कक्षा से Chapter-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 
हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी भारत और समकालीन विश्व - I के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 9 भारत और समकालीन विश्व - I Chapter-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 9 भारत और समकालीन विश्व - I

पाठ-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-3 (नात्सीवाद और हिटलर का उदय)

1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?

उत्तर-

• वाइमर संधि - वर्साय में हुई शांति-संधि की वजह से जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश, तकरीबन 10 प्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस, पोलैंड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। मित्र राष्टों ने उसकी सेना भी भंग कर दी। यद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण हुई सारी तबाही के लिए जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराकर उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया। खनिज संसाधनों वाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज़्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही क़ब्ज़ा रहा।

• आर्थिक संकट - युद्ध में डूबे हुए ऋणों के कारण जर्मन राज्य आर्थिक रूप से अपंग हो गया था जिसका भुगतान सोने में किया जाना था। इसके बाद, सोने के भंडार में कमी आई और जर्मन निशान का मूल्य गिर गया। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगीं|

• राजनीतिक संकट - राष्ट्रीय सभा द्वारा वाइमर गणराज्य का विकास तथा सुरक्षा के रास्ते पर लाने के लिए एक नये जनतांत्रिक संविधान का निर्माण किया गया, किन्तु यह अपने उद्देश्य में असफल रहा। संविधान में बहुत सारी कमजोरियाँ थीं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व संबंधी नियमों तथा अनुच्छेद 48 के कारण एक राजनीतिक संकट पैदा हआ जिसने तानाशाही शासन का रास्ता खोल दिया।


2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?

उत्तर-

जर्मनी में 1930 के बाद से नाजीवाद बहुत लोकप्रिय हो गया:

• महामंदी के दौर में वाइमर गणराज्य ने देश की आर्थिक गिरावट को कम करने के लिए कुछ नहीं किया| इसी समय जब जर्मनी एक भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुज़र रहा था तब नात्सियों ने अपने धूआँधार प्रचार के ज़रिए हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसने मानो जनता को तबाही से उबारने के लिए ही अवतार लिया था।

• हिटलर ज़बर्दस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना, वर्साय संधि में हुई नाइंसाफ़ी के प्रतिशोध और जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था। उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा और तमाम विदेशी 'साज़िशों' का मुंहतोड़ जवाब देगा।

• नाजी प्रचार अद्वितीय था। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज़ में तालियों की गड़गड़ाहट - ये सारी चीजें शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।


3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?

उत्तर-

नात्सी विचारधारा की अनूठी विशेषतायें निम्नलिखित थीं-

• लोगों के बीच कोई समानता नहीं, बल्कि केवल एक प्रजातीय वंशानक्रम है। 

• नीली आँखों वाले नॉर्डिक जर्मन आर्य वंशानुक्रम में सबसे श्रेष्ठ तथा यहूदी लोग सबसे हीन हैं। 

• नात्सियों का मानना था कि श्रेष्ठ प्रजाति रहेगी तथा हीन प्रजाति को नष्ट हो पड़ेगा।

• इनके विचार का एक दृष्टिकोण भ-राजनीतिक विस्तार अर्थात् 'लेबेन्नाउम' था। इसके तहत उन्हें बस्तियों के लिए अपने क्षेत्र के विस्तार की इजाजत थी


4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ़ नफ़रत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा? 

उत्तर-

नात्सियों का प्रोपेगैंडा के लिए घृणा पैदा करने में निम्नलिखित कारण कारगर थे -

• नात्सियों ने बड़ी सावधानी से भाषा और मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। नात्सियों द्वारा नस्लीय सिद्धांत को सामने रखा गया कि यहूदी निचली नस्ल के थे और इसलिए अवांछनीय थे।

• नात्सियों ने मध्यकाल में यहूदियों की निम्न स्थिति का सफलतापूर्वक शोषण किया क्योंकि परंपरागत रूप में ईसाई, यहूदियों से घृणा करते थे। यहूदियों को यीशु का हत्यारा माना जाता था। उन्हें सांस्कारिक हत्यारा माना जाता था तथा जमीन खरीदने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्हें शोषक महाजन के रूप में देखा जाता था।

• नात्सियों ने स्कूली दिनों के दौरान शुरू से ही बच्चों के मन में यहूदियों के खिलाफ नफरत करना सिखाया। जो शिक्षक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को स्कूलों से बाहर निकाल दिया गया। नई पीढ़ी के बच्चों को इस तरह के नए वैचारिक प्रशिक्षण दिए गए ताकि वे यहूदियों के लिए अपने दिल में नफरत रखें|


5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 देखें फ़्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फ़र्क था? एक पैराग्राफ़ में बताएँ।

उत्तर-

नात्सी समाज में महिलाओं ने द्वितीयक स्तर की भूमिका अदा की। उन्हें आर्य संस्कृति का संवाहक माना जाता था। इस संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को दंडित तथा अपमानित कर जेलों में कैद कर दिया जाता था। दूसरी तरफ, जो महिलाएँ इन आचार संहिताओं का पालन करती थीं उन्हें सम्मानित किया । था। गैर-जर्मन महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई जाती थी। इसके उलट फ्रांसीसी क्रांति ने महिलाओं के जीवन में नई गतिविधियों का संचार किया। महिलाओं का का में बराबर का साझीदार माना जाता था। वे कई प्रगतिशील गतिविधियों जैसे राजनीतिक क्लबों की सदस्यता, पा अखबार, नौकरी आदि में भाग ले सकती थीं। महिलाओं ने अपनी एक संस्था 'क्रांतिकारी एवं गणतांत्रिक मार समाज' की स्थापना की। उन्होंने अपने लिए समान राजनीतिक अधिकारों की माँग की जिसे अंतत: 300 वषा लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त किया। 1946 में फ्रांसीसी महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान कर दिया गया।


6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?

उत्तर-

नात्सी सरकार ने जनता पर संपूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए -

• युवाओं का विचार परिवर्तन - उनकी बाल्यावस्था से ही नात्सी सरकार ने बच्चों के मन-मस्तिष्क पर कब्जा लिया जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्हें वैचारिक प्रशिक्षण द्वारा नात्सीवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।

• स्कली बच्चों का विचार परिवर्तन-नात्सी सरकार ने अपनी विचारधारा पर आधारित नए पाठ्यक्रम के अरूप पस्तकें तैयार करवाई। कई युवा चित्रकारिता कार्यक्रम बनाये गये। इन सबके द्वारा उन्हें नम्रता तथा कृतज्ञता पाठ पढाया गया। उनसे कहा जाता था कि वे यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करें।

• खेल गतिविधियाँ-उन सभी खेल गतिविधियों (खासकर बॉक्सिंग) को प्रोत्साहित किया गया जो बच्चों में हिंसा तथा आक्रामकता की भावना पैदा करती थीं।

• लड़कियों का विचार परिवर्तन-लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी कि उन्हें अच्छी माँ बनना था तथा शुद्ध रक्त वाले आर्य बच्चों का लालन-पालन करना था।

• महिलाओं के बीच भेदभाव-महिलाओं के बीच उनके बच्चों के आधार पर भेदभाव किया जाता था। एक अनुपयुक्त बच्चे की माँ होने पर महिलाओं को दंडित किया जाता था तथा जेल में कैद कर दिया जाता था। किंतु, बच्चे के शुद्ध आर्य प्रजाति का होने पर महिलाओं को सम्मानित किया जाता था तथा इनाम दिया जाता था।

• आर्यों के आर्थिक हितों की रक्षा-आर्य प्रजाति के लोगों के लिए आर्थिक अवसरों की भरमार थी। उन्हें रोजगार दिया जाता था, उनके व्यापार को सुरक्षा दी जाती थी तथा सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव सहायता दी जाती थी।

• नाजी प्रचार-जनता पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में नात्सियों द्वारा विशेष पूर्वनियोजित प्रचार का सर्वाधिक योगदान था।

नात्सियों ने आबादी के विभिन्न हिस्से को अपील करने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने इस .. आधार पर उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया कि केवल नात्सी ही उनकी हर समस्या का हल ढूँढ सकते थे। 

एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 9 भारत और समकालीन विश्व - I पीडीएफ