NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)

NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)

NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 10 वीं कक्षा से Chapter-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको5 इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 
हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी समकालीन भारत - 2 के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 10 समकालीन भारत - 2

पाठ-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-5 (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)

पृष्ठ संख्या - 63

 बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है? 

(क) कोयला

(ख) बाक्साइट

(ग) सोना

(घ) जस्ता

उत्तर बाक्साइट

(ii) झारखण्ड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?

(क) बाक्साइट

(ख) अभ्रक

(ग) लौह-अयस्क

(घ) ताँबा

उत्तर (ख) अभ्रक

(iii) निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?

(क) तलछटी चट्टानें

(ख) कायांतरित चट्टानें

(ग) आग्नेय चट्टानें

(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) तलछटी चट्टानें

(iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?

(क) खनिज तेल

(ख) यूरेनियम

(ग) थोरियम

(घ) कोयला

उत्तर (ग) थोरियम

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों से अधिक ना दें।

(क) लौह और अलौह खनिज

(ख) परम्परागत तथा गैर परम्परागत ऊर्जा साधन

उत्तर

(क)

लौह खनिजअलौह खनिज
 धात्विक खनिज जिसमें लोहा शामिल होता है लौह खनिज कहलाते हैं, जैसे- लौह अयस्क, मैंगनीज, निकेल व कोबाल्ट आदि।धात्विक खनिज जिसमें लोहा शामिल नहीं होता है अलौह खनिज कहलाते हैं, जैसे- ताँबा, बाक्साइट व टिन इत्यादि।

(ख)

परम्परागत ऊर्जा के साधनगैर परम्परागत ऊर्जा के साधन
ऊर्जा के परम्परागत साधनों का इस्तेमाल बहुत पहले से किया जाता रहा है। जबकि ऊर्जा के गैर परम्परागत साधनों की पहचान आमतौर पर हाल ही के दिनों में की गई हैं। 
जल ऊर्जा को छोड़कर वे समाप्त हो जाने वाले साधन हैं। ये कभी खत्म न होने वाले साधन हैं। 
ये प्रदूषण का कारण बनते हैं जब इनका उपयोग धुंआँ और रख के उत्सर्जन के रूप में किया जाता है। सामान्यतः ये प्रदूषण मुक्त होते हैं। 
इन साधनों की पीढ़ी और उपयोग में भारी व्यय शामिल होता है।इन साधनों में कम व्यय की जरूरत होती है। 
उदहारण- कोयला, प्राकृतिक गैस, जल, ईंधन के लिए लकड़ी। उदहारण- भू-तापीय उर्जा, पवन उर्जा, सौर उर्जा, बायोगैस उर्जा, ज्वारीय उर्जा तथा परमाणु उर्जा 

(ii) खनिज क्या हैं?

उत्तर

खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक संरचना है।

(iii) आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?

उत्तर

इन चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विदरों में मिलते हैं जिनका निर्माण उस समय होता है जब ये तरल या गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। तब वे ठंडे होकर जम जाते हैं और शिराओं या परत के रूप में पाए जाते हैं।

(iv) हमें खनिजों की संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?

उत्तर

खनिज संसाधनों के निर्माण व सांद्रण में लाखों वर्ष लगे हैं। उनके वर्तमान उपभोग दर की तुलना में उनके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया थोड़ी धीमी है। इसीलिए खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य है| इसी कारण खनिजों की संरक्षण की आवश्यकता महत्वपूर्ण है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर

→ धातुशोधन कोयले के प्रमुख संसाधन गोंडवाना आयु के हैं और मुख्य रूप से प्रायद्वीप के उत्तरी-पूर्वी भाग में स्थित है।

→ कोयले के समृद्ध भंडार पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड के दामोदर घाटी क्षेत्र में पाए जाते हैं। पश्चिम बंगाल के रानीगंज तथा झारखण्ड के बोकारो व झरिया महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं| कुल उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा कोयला इसी क्षेत्र से प्राप्त होता है।

→ गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं।

→ टरशियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों मेघालय, असम, अरूणाचल प्रदेश व नागालैंड में पाया जाता है।

(ii) भारत में सौर उर्जा का भविष्य उज्जवल है, क्यों?

उत्तर

भारत में सौर उर्जा का भविष्य निम्न कारणों से उज्जवल है-

→ भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश होने के कारण सालों भर बहुतायत में सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करता है।

→ सौर उर्जा संयंत्रों को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है।

→ सौर उर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम करने में सहायता मिलती है जो पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की आपूर्ति होगी।

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