NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 12 - औपनिवेशिक शहर नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य

NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 12 - औपनिवेशिक शहर  नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य

NCERT Solutions Class 12 इतिहास  12 वीं कक्षा से Chapter 12 औपनिवेशिक शहर  नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स इतिहास के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions class 12 इतिहास Chapter 12 - औपनिवेशिक शहर  नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य



सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास

महत्वपूर्ण प्रश्न पाठ - 12

औपनिवेशिक शहर

नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य

अति लघु प्रश्न 2 अंक

प्र.1 औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आंकड़े किस हद तक उपयोगी होते हैं ?

उत्तर- औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझान को समझने के लिए जनगणना संबंधी आँकड़े बहुत उपयोगी होते हैं:

(अ) इससे श्वेत और अश्वेत लोगों की कुल जनसंख्या या आबादी को जानने में सहयोग मिलता है।

(ब) श्वेत और अश्वेत टाऊन के निर्माण, विस्तार और उनके जीवन संबंधी स्तर, भयंकर बीमारियों के जनसंख्या पर पड़े दुष्प्रभाव आदि को जानने में भी जनगणना संबंधी आँकडे तुरन्त जानकारी देने वाले पट्टियों का कार्य करते हैं।

(स) जनगणना संबंधी आँकड़े विभिन्न समुदायों, कार्यों, जातियों की जानकारी देते हैं।

प्र.2 ब्रिटिश शासन के दौरान सिविल लाइन्स क्या थे?

उत्तर- 1857 केविद्रोह के बाद भारत में अंग्रेजों का रवैया विद्रोह की लगातार आशंका से तय होने लगा था। उनको लगता था कि शहरों की और अच्छी तरह हिफाजत करना जरूरी है और अंग्रेजों को देशियों के ख़तरे से दूर, ज्यादा सुरक्षित व पृथक बस्तियों में रहना चाहिए। पुराने कस्बों के इर्द-गिर्द चरागाहों और खेतों को साफ कर दिया गया। सिविल लाइन्स के नाम से नए शहरी इलाके विकसित किए गए। सिविल लाइन्स में केवल गोरों को बसाया गया।

प्र.3 औपनिवेशिक शहरों में रिकार्ड संभालकर क्यों रखे जाते थे?

उत्तर- 1. जनसंख्या में हुए बदलावों की जानकारी के लिए ।

2. औपनिवेशिक शहरों के विकास कि पुनर्रचना के लिए।

प्र.4 तीनों औपनिवेशिक शहरों यथा मद्रास, बम्बई और कलकत्ता का एक सामान्य विशेषता लिखे।

उत्तर- मद्रास, बम्बई और कलकत्ता तीनों शहरों की बस्तियों में अग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापारिक तथा प्रशासनिक कार्यालय स्थापित किये गए थे। तीनों शहरों के पास बंदरगाह विकसित हुए ।

प्र.5 कोई तीन पर्वतीय स्थल के नाम लिखे जिनकी स्थपना अंग्रेजो ने भारत में की थी।

उत्तर- शिमला, दार्जिलिग, माऊंटआबू ।

लघु प्रश्न 5 अंक

प्र.6 प्रमुख भारतीय व्यापारियों ने औपनिवेशिक शहरों में खुद को किस तरह स्थापित किया ?

उत्तर- प्रमुख भारतीय व्यापारियों ने औपनिवेशिक शहरों अर्थात् मद्रास (चेन्नई), बम्बई (मुंबई) और कलकत्ता (कोलकाता) में कम्पनी के एजेन्ट के रूप में रहना शुरू किया। ये सभी बस्तियाँ व्यापारिक और प्रशासनिक कार्यालयों वाली थी। इसलिए भारतीय व्यापारियों को यह शहर सुविधाजनक लगे। यह तीनों शहर बंदरगाह थे और इनमें सड़के, यातायात, जहाजरानी के साथ-साथ कालांतर में रेलों की सुविधा प्राप्त हो गई। भारतीय ग्रामीण व्यापारी और फेरी वाले शहरों में माल गाँव से खरीदकर भी लाते थे। अनेक भारतीय व्यापारी जब पुराने और मध्यकालीन शहर उजड़ गए तो उन्हें छोड़कर वे इन बड़े शहरों में आ गए। उन्होंने व्यापारिक गतिविधियाँ करने के साथ-साथ उद्योग-धंधे भी गाए। अपनी अतिरिक्त पूँजी इन शहरों में निवेश की। व्यापारिक गतिविधियों के बारे में रखे गए सरकारी रिकार्डो और विस्तृत ब्यौरों से कई प्रकार की जानकारी प्राप्त करते थे। शहरों की समस्याओं के समाधान के लिए नगरपालिकाओं से सहयोग लिया गया। अनेक व्यापारी इन बड़े शहरों के उपनगरीय क्षेत्रों में भी रहने लगे। उन्होंने घोड़ागाड़ी और नए यातायात के साधनों को भी प्रयोग किया। भारतीय व्यापारी कम्पनी के व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। मुम्बई के रहने वाले व्यापारी, चीन को जाने वाली अफीम के व्यापार में हिस्सेदार थे। उन्होंने मुम्बई की अर्थव्यवस्था को मालवा, राजस्थान और सिंध जैसे अफीम उत्पादक इलाकों से जोड़ने में सहायता दी। कम्पनी के साथ गठजोड़ एक मुनाफे का सौदा था जिससे कालांतर में एक पूँजीपति वर्ग का विकास हुआ। भारतीय व्यापारियों में सभी समुदाय-पारसी, मारवाड़ी, कोंकणी, मुसलमान, गुजराती बनिए, बोहरा, यहूदी आदि शामिल थे।

प्र.7 औपनिवेशिक कलकत्ता में नगर नियोजन पर स्वास्थ्य और सुरक्षा की जरूरतों के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए। ?

उत्तर- भारत में उपनिवेशिवाद का सीधा प्रभाव नगर नियोजन पर दृष्टिगोचर होता था। कम्पनी एवं अंग्रेजी सरकार ने भारत के प्रमुख बंदरगाह वाले शहरों को नियोजित ढंग से बसाने का विचार किया। इन शहरों में एक शहर था-कलकत्ता, जो बंगाल सूबे का एक महत्वपूर्ण शहर, अंग्रेजी सत्ता की राजधानी एवं वाणिज्य का केन्द्र था। कलकत्ता शहर के नियोजन का प्रथम चरण लॉर्ड वेलेजली के कार्यकाल में प्रारंभ हुआ।

(अ) स्वास्थ्यः स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहत सारे बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों और चर्मशोधन इकाइयों को साफ किया गया। इनमें से कुछ को हटा दिया गया। शहर का एक नवीन नक्शा तैयार किया गया। इसमें सड़क के किनारे एवं अन्य अवैध कब्जों को हटाने की सिफारिश की गई। 1817 में हैजा तथा 1896 में प्लेग महामारी ने कलकत्ता को अपनी चपेट में ले लिया। चिकित्सक इसकी ठोस वजह नहीं बता पाए, किंतु 'जनस्वास्थ्य' की अवधारणा को बल मिला। सरकार एवं जागरूक नागरिक (द्वारकानाथ टैगोर एवं रूस्तम जी कोवासजी) यह मानने लगे कि शहर को स्वास्थ्यवर्धक बनाना आवश्यक है। अतः घनी आबादी वाली बस्ती तथा झोपड़ियों को हटाया गया। स्वास्थ्य के आधार पर व्हाइट एवं ब्लैक टाउन जैसे नस्ली विभाजन हुए।

(ब) सुरक्षा: कलकत्ता शहर के नियोजन का भार सरकार ने अपने ऊपर इसलिए लिया, क्योंकि यह शहर सुरक्षा के दृष्टिकोण से संवेदनशील था। 1756 में नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता पर हमला किया था तथा कम्पनी को करारी शिकस्त दी थी।

कम्पनी ने 1757 में जब सिराजुद्दौला कोपराजित किया उसके बाद उसने कलकत्ता शहर की किलांबदी शुरू की, ताकि आसानी से कलकत्ता पर हमला न किया जा सके। तीन गाँव सुतानाती, कोलकाता और गोविन्दपुर को मिला कर कलकत्ता शहर बसाया गया। फोर्ट विलियम के आसपास खुली जगह छोड़ी गई, ताकि हमलावरों पर आसानी से गोलीबारी की जा सके। इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कलकत्ता शहर के नियोजन में सुरक्षा एवं स्वास्थ्य का व्यापक प्रभाव था।

प्र.8 भारत में औपनिवेशिक शासन काल में नगरों की क्या स्थिति थी?

उत्तर- 1. ग्रामीण इलाकों के गरीब रोजगार के लिए शहरों की तरफ भाग रहेथे। कई लोग आकर्षक शहरी जीवन के कारण भी नगरों की ओर खिंचे चले आ रह थे।

2. औपनिवेशिक शासकों ने नियमित रूप से सर्वेक्षण कराए । साँख्यिकीय आँकड़े इकट्ठे किए और समय-समय पर शहरों से संबंधित सरकारी रिपोर्ट प्रकाशित की।

3. मद्रास, बंबई और कलकत्ता के नक्शे पुराने भारतीय शहरों से काफी हद तक अलग थे। भवनों का स्थापत्य कला बदल गया था ।

4. जिन हिल स्टेशनों में चाय और कॉफी के बागान लगाए गए थे, वहाँ बड़ी संख्या में मजदूर आने लगे।

5. शहरों में औरतों के लिए अनेक अवसर थे । कुछ सुधारकों ने महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया लेकिन रूढ़िवादियों ने इसका विरोध किया । जैसे-जैसे समय बीता सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ने लगी, नौकरानी और फैक्टरी मजदूर, शिक्षिका, और फिल्म कलाकार के रूप में शहरों के नए व्यवसायों में दाखिल होने लगी।

विस्तृत प्रश्न 8 अंक

प्र.9 भारत में छावनियों के विकास का वर्णन करें।

उत्तर- अंग्रेजी साम्राज्य की सुरक्षा के लिए अंग्रेजी सरकार ने महत्वपूर्ण स्थानों पर छावनियों की स्थापना की । उन्होने कई मूल राज्यों की सीमाओं पर राज्य की उथल-पुथल को नियंत्रित करने तथा शासकों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए छावनियाँ बनाई । सन् 1765 ईसवीं में लार्ड रोबर्ट क्लाईव ने अपनी सेना रखने के लिए छावनियाँ बनाने की नीति का निर्माण किया । इन छावनियों में ब्रिटिश सेना को रखकर उन्हें सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता था और उनमें सैनिक जीवन व्यतीत करने और अनुशासन में रहने की शिक्षा दी जाती थी । उस समय भारत में 62 छावनियाँ थी । भारत में सबसे महत्वपूर्ण छावनियाँ लाहौर, पेशावर, फिरोज़पुर, आगरा, बरेली, जालंधर, झाँसी, नागपुर, मुंबई, कलकत्ता, मद्रास, दिल्ली आदि थी । भटिंडा में स्थापित की गई नई छावनी देश की 62 छावनियों में से सबसे बड़ी छावनी है । छावनियों पर नियंत्रण रखने वाला सबसे बड़ा अधिकारी डायरेक्टर जनरल होता है । यह छावनियों का प्रशासन तथा छावनी के बाहर तथा भीतर की अचल संपत्ति की देख-रेख करता है । प्रत्येक छावनी का प्रशासन एक छावनी बोर्ड चलाता है । छावनी बोर्ड, एक स्वायत्तशासी संस्था होती है और इसके सभी कार्यों पर केंद्रीय रक्षा मंत्रालय का नियंत्रण होता है । छावनियों पर केंटोनमेंट एक्ट, 1924 द्वारा बनाए गए नियम लागू होते है । छावनी बोर्डो में लोगो द्वारा बनाए गए नियम लागू होते है । छावनी बोर्डो में लोंगो द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के अतिरिक्त कुछ सरकारी मनोनीत सदस्य भी होते है । नगर का स्टेशन कमांडर बोर्ड का प्रधान होता है । केंद्रीय सरकार, प्राथमिक शिक्षा, सड़कों पर रोशनी का प्रबंध तथा सड़कों की मरम्मत का कार्य करती है।

प्र.10 बम्बई नगर में भवन किन-किन भवन निर्माण शैलियों के अनुसार बनाए गए ?

उत्तर- बम्बई शहर में दिखने वाले विभिन्न औपनिवेशिक भवन निर्माण शैली

(क) नवशास्त्रीय या नियोक्लासिकल शैली

बड़े-बड़े स्तंभों केपीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण इस शैली कीविशेषता थीं। यह शैली मूल रूप से प्राचीन रोम की भवन निर्माण शैली सेनिकली थी जिसे यूरोपीय पुनर्जागरण केदौरान पुनर्जीवित, संशोधित औरलोकप्रिय किया गया।

1- बम्बई का टाउन हॉल

2- एल्फिस्टन सर्कल या हॉर्निमान सर्कल

(ख) नव-गॉथिक शैली

उँची उठी हुई छतें, नोकदार मेहराबें और बारीक साज-सज्जा इस शैलीकी खासियत होती है। गॉथिक शैली का जन्म इमारतों,

खासतौर से गिरजोंसे हुआ था जो मध्यकाल में उत्तरी यूरोप में काफी बनाए गए।

1- सचिवालय,

2- बम्बई विश्वविद्यालय

3- बम्बई उच्च न्यायालय

4- विक्टोरिया टर्मिनस

(ग) इंडो-सारासेनिक शैली

एक नयी मिश्रित स्थापत्य शैली विकसित हुई जिसमें भारतीय औरयूरोपीय, दोनों तरह की शैलियों केतत्व थे। इंडो शब्द हिन्दू का संक्षिप्तरूप था जबकि सारासेनिक शब्द का प्रयोग यूरोप केलोग मुसलमानों कोसंबोधित करने केलिए करते थे।

प्र.11 अनुच्छेद आधारित प्रश्ननिम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रष्नों का उत्तर लिखिए:-

                                                     ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पलाय

1857 में ब्रिटिश सेना द्वारा शहर पर अधिकार करने के बाद दिल्ली के लोगों ने क्या किया, इसका वर्णन प्रसिद्ध शायर मिर्जा ग़ालि इस प्रकार करते है: दुश्मन को पराजित करने और भगा देने के बाद, विजेताओं (ब्रिटिश) ने सभी दिशाओं से शहर को उजाड़ दिया जो सड़क पर मिले उन्हें काट दिया गया...। दो से तीन दिनों तक कश्मीरी गेट से चाँदनी चौक तक शहर की हर सड़क युद्धभूमि बनी रही। तीन द्वार - अजमेरी, तुर्कमान तथा दिल्ली अभी भी विद्रोहियों के कब्जे में थे...। इस प्रतिशोधी आक्रोश तथा घृणा के नंगे नाच  लोगों के चेहरों का रंग उड़ गया, और बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएँ... इन तीनों द्वारों से हड़बड़ा कर पलायन करने लगे। शह के बाहर छोटे गाँवों और देवस्थलों में शरण ले अपनी वापसी के अनुकूल समय का इंतजार करते रहे

(क) मिर्जा ग़ालिब कौन था ? (1

उत्तर- मिर्जा ग़ालिब एक प्रसिद्ध शायर था 

(ख) 1857 में दिल्ली में क्या और क्यों हो रहा था? (2

उत्तर- 1857 के विद्रोह के दौरान दिल्ली पर विद्रोहियो का कब्जा था, परंतु शीघ्र ही उस ब्रिटिश सेना द्वारा कब्जे में कर लिया गया 

(ग) जब दिल्ली पर ब्रिटिश सेना के द्वारा अधिकार किया जा रहा था, तब कौन से तीन द्वार विद्रोहियों के कब्जे में थे? (2

उत्तर- तीन द्वार -अजमेरी, तुर्कमान तथा दिल्ली विद्रोहियों के कब्जे में थे

(घ) ब्रिटिश सेना द्वारा दिल्ली पर अधिकार के दौरान लोगों कि क्या स्थिति थी ? (3

उत्तर- लोगों के चेहरों का रंग उड़ गया था, और बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएँ इन तीनों द्वारों से हड़बड़ा कर पलायन करने लगे शहर के बाहर छोटे गाँवों और देवस्थलों में शरण ले अपनी वापसी के अनुकूल समय का इंतजार करते रहे।


एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 12 भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग I - II - III